अनकही-अनसुनी: जानिए कैसे बनीं धनुष-बाण और 2 मछलियां उत्तर प्रदेश की पहचान

  • Abhijit
  • Saturday | 7th October, 2017
  • education
संक्षेप:

  • उत्तर प्रदेश के राज्य चिन्ह का है लखनऊ के इतिहास से करीबी रिश्ता
  • गोविंद बल्लभ पंत ने प्रतीक चिह्न अपनाने के लिए किया था लम्बा संघर्ष
  • 1916 में शुरू हुई थी उत्तर प्रदेश के प्रतीक चिन्ह को अपनाने की कवायद

-अश्विनी भटनागर

लखनऊ: हम सब उत्तर प्रदेश के राज्य चिन्ह से भली भांति परिचित है। ऊपर धनुष–बाण है और उसके अगल बगल दो लहर वाली लाइनें हैं जो चिन्ह के बीच में मिल जाती है और फिर नीचे तक एक लाइन बन कर आती है। इस लहर दार लाइन के दोनों ओर एक-एक मछली है।

लहरदार लाइनें गंगा और जमुना का प्रतीक है और उनका संगम उत्तर प्रदेश की गंगा जमुना तहज़ीब को दर्शाता है। दो मछलियों का प्रतीक लखनऊ की मछली भवन से लिया हुआ है और धनुष–बाण राम कथा से प्रेरित है। एक मिथक के अनुसार लखनऊ को लक्ष्मण ने बसाया था और प्राचीन काल में `लक्ष्मणपुरी` के नाम से जाना जाता था। वैसे यह भी कहा जाता है कि लखनऊ का नाम `लखना अहीर` के नाम पर पड़ा है जिसने पंच महल नाम का किला बनवाया था।

उत्तर प्रदेश के राज्य चिन्ह का लखनऊ के इतिहास से करीबी रिश्ता है। लखनऊ के चौक में हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग सम्राट अकबर (1566-1605) के पहले से रहते आ रहे थे। साल 1590 में जब अकबर ने पूरे देश को बारह प्रान्तों में विभाजित किया, तब लखनऊ को सूबेदार, या अवध के राज्यपाल की राजधानी के तौर पर चिन्हित किया गया। उस समय बिजनपुर के एक जमींदार शेख अब्दुल रहमान ने दौलत कमाने के लिए दिल्ली का रुख किया था। बाद में वह राजकीय सेवा में अधिकारी बने और उन्हें लखनऊ में जागीर दी गयी थी। उन्होंने पीर मुहम्मद की पहाड़ी पर अपना घर बनाया था और उसके निकट एक किला बनवाया जो मच्छी भवन कहलाया था।

इसके निर्माण से पहले चौक के प्रमुख निर्माण गोल दरवाज़ा और शाह मीना की मजार थे। शाह मीना एक प्रख्यात इस्लामी संत थे जो लखनऊ में वर्ष 1450 के आसपास रहे थे।

लखनऊ में वर्ष 1766 तक पंच महल शहर का प्रमुख स्थान बन चुका था और बाद में इसे मच्छी भवन नाम दिया गया। इस महल को यह नाम दिए जाने के पीछे संभवतः इसकी 26 मेहराबों में प्रत्येक पर दो मछलियों का भित्ति चित्र थी । लखनऊ के शासक को मुग़ल दरबार द्वारा मच्छी मरताब का ख़िताब भी दिया गया था जिसका अर्थ मछली का गौरव था। मछली शुभ चिन्ह भी मना जाता था।

आमने सामने दो मछलियाँ आगे चलकर शेख का, नवाबों का और अंततः ब्रिटिश राज्य का प्रतीक चिन्ह बना था। आज भी लखनऊ के कई भवनों और स्मारकों पर यह चिन्ह देखा जा सकता है।

लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य का प्रतीक चिन्ह बनाने की शुरुआत 1916 में हुई थी जब रॉयल सोसाइटी इन दी यूनाइटेड किंगडम ने इसको औचारिक सुविकृति दी थी। इस डिजाईन में एक सितारा भी था जिसको बाद में हटा दिया गया था। चिन्ह को औपचारिक रूप से अपनाने के लिये कांग्रेस के नेता गोविन्द बल्लभ पंत ने लंबा संघर्ष किया था।

1930 के शुरुआती वर्षो में राज्य के अँग्रेज़ गवर्नर सर हैरी ग्रैहम हेग थे और वो इस चिन्ह को अपनाने के विरोध में थे। पर गोविन्द बल्लभ पंत अपनी बात पर अड़ गये थे और आखिरकार अगस्त 9, 1938, में सरकार के उनकी मांग को मान लिया था। तब से यह राज्य चिन्ह बदस्तूर स्थापित है।

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