अनकही-अनसुनी लखनऊः कंबल में लिपटा हुआ दमकता सूरज

  • Sonu
  • Saturday | 24th March, 2018
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संक्षेप:

  • जानिए कौन थे नीम करोली बाबा
  • भक्तों की कतार लखनऊ से अमेरिका तक
  • जूलिया रॉबर्ट्स और मार्क जुकरबर्ग भी हैं भक्त

By: अश्विनी भटनागर

लखनऊः गोमती के किनारे, हनुमान सेतु पुल पार करते ही लखनऊ विश्वविद्यालय के सामने नीम करोली बाबा का बनाया हुआ सिद्ध हनुमान मंदिर है जिसके दर्शन किये बिना ज्यादातर लखनऊ वासियों का मंगलवार पूरा नहीं होता है। मंदिर की ख्यति इतनी है कि उसमें हर दिन मेला सा लगा रहता है। हनुमान की अद्भुत मूर्ति और कुछ दूरी पर नीम करोली बाबा की प्रतिमा का आकर्षण लोगों को वहां खीच लाता है।

नीम करोली बाबा के आराध्य हनुमान थे। वो वास्तव में अलौकिक सिद्ध पुरुष थे जिनकी प्रसिद्धि देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैली हुयी थी। वो कभी विदेश नहीं गये थे पर अपने आप लोग उनकी तरफ खीचे चले आते थे। जानी–मानी हॉलीवुड की अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स ने उनकी सिर्फ फोटो ही देखी थीं पर उससे वो इतनी प्रभावित हुई थीं कि उनकी भक्त बन गयी थी।

इसी तरह स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग, लैरी ब्रिलियंट जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय नाम भी बाबा से इस कदर प्रभावित हुये कि उनको उन्होंने अपना मान लिया था। इन सभी के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाने में बाबा की खास भूमिका रही है।

नीम करोली बाबा 1900 में लक्ष्मी नारायण शर्मा के रूप में फैजाबाद जिला के अकबरपुर गांव में जन्मे थे। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। उनकी शादी 11 साल की उम्र में हो गयी थी और उनके दो लड़के और एक लड़की थी।

बाबा के बारे में कई कहानियां प्रचलित है। उन्होंने 1958 में घर छोड़ दिया था और उसके बाद वो देश भर में जगह-जगह रमते-बसते रहे थे। एक बार वो बिना टिकट ट्रेन में सफ़र कर रहे थे और टिकट कलेक्टर ने नीब करोली गांव के पास गाड़ी रुकवा कर उन्हें उतार दिया। बाबा उतर तो गए पर जब ड्राईवर ने ट्रेन फिर से चलाने की कोशिश की तो वो टस से मस भी नहीं हुई। अंत में हार कर बाबा को फिर से ट्रेन पर बैठाया गया और वो फ़ौरन चल पड़ी। बाबा लौट कर नीब करोली गांव में कुछ अरसे के लिये बस गये और स्थानीय लोग उन्हें नीब करोली बाबा कह कर पुकारने लगे।

स्वामी चिदानंद अपनी किताब बाबा नीम करौली: अ वंडर म्य्स्टिक ऑफ़ नार्थ इंडिया में लिखते है कि बाबा कही भी बैठ कर किसी की बात सैकड़ों मील दूर से सुन सकते थे। उन्होंने कई दृष्टांत दिये है जिनमें दो लोगों के बीच हुई कही दूर बातचीत को बाबा ने उन व्यक्तियों से मिलने पर हूबहू बयान दे दी थी।

इसी तरह कहा जाता है कि वो कही भी अचानक आ जाते थे। स्वामी चिदानंद ने अपने साथ हुयी घटनाओं का ज़िक्र करते हुये कहा है बाबा शिवानंद आश्रम, ऋषकेश, दो बार अचानक ‘प्रकट’ हो गए थे और फिर सबसे मिलने के बाद वो आश्रम के बाहर मोड़ तक गये थे और फिर गायब हो गये। बाबा नीम करोली, मोड़ तक तो दिखते थे पर फिर नहीं। उनके गायब हो जाने के बाद लोगों ने दौड़ कर और मोटर कार में भी उनको आसपास तलाशने की कोशिश की थी पर वो कही नहीं मिले थे।

बाबा को उनके जीवन काल में कई नामों से पुकारा गया था। नीब करोली या नीम करोली के अलावा लोग उन्हें हांड़ी वाले बाबा, तिकोनिया वाले बाबा भी कहता थे।  जब वो वावानिया मोरबी में थे तो उन्हें तलैया वाले बाबा कहा जाता था और वृन्दावन में उन्हें चमत्कारी बाबा कहते थे। उन्होंने अपने जीवन में दो आश्रम बनवाये थे– वृन्दावन में और कैंची, नैनीताल, में और 108 मंदिरों का भी निर्माण करवाया था जिसमें लखनऊ वाला हनुमान मंदिर भी शामिल है। बाबा ने 11 सितम्बर 1973 को वृन्दावन में महासमाधि ली थी।

बाबा नीम करोली शारीरिक रूप से हमारे साथ नहीं है पर उनका विशाल व्यकातित्व आज भी लाखों भक्तों को प्रेरणा देता है। बाबा ने ही लैरी ब्रिलियंट को चेचक उन्मूलन में लगाया था। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन से जुड़ कर उन्होंने उन्मूलन में बड़ा योगदान दिया था। उन्होंने और बाबा राम दास ने अमेरिका में सेवा फाउंडेशन बनायीं थी जिसमें स्टीव जॉब्स ने अनुदान दिया था। सेवा ने भारतीय महादीप और दक्षिण पूर्वी एशिया में 40 लाख लोगों को अभी तक दृष्टि दान दिया है। सन 2000 में लव सर्व रेमेम्बेर फाउंडेशन की भी स्थापना की गयी थी जिसका उद्देश बाबा के आदर्शो को पूरी दुनिया में फैलाना है।

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