इलाहाबाद की पहली फ्लाइंग कैप्टन रीतिका द्विवेदी से NYOOOZ की ख़ास बातचीत
- Hasnain
- Sunday | 23rd July, 2017
- local
- इलाहाबाद की रीतिका द्विवेदी बेंगलुरु में है कमर्शियल पायलट
- लीक से हटकर कुछ करने की चाह में बनी कमर्शियल पायलट
- क्रिकेटर एकलव्य द्विवेदी हैं रीतिका के कजिन
इलाहाबाद: छोटे शहर की लड़कियां भी अब ऊंची उड़ान भर रही हैं। NYOOOZ आपको इलाहाबाद की एक ऐसी ही लड़की से मिलाने जा रहा है जो शहर की लेडी फ्लाइंग कैप्टन हैं। जिसका नाम रीतिका द्विवेदी है।
रीतिका लीक से हटकर कुछ करने की चाह में इस करियर को चुना। रीतिका के पिता डॉ. सुरेश द्विवेदी तेज बहादुर सप्रू हॉस्पिटल में सीएमएस के पद से रिटायर्ड हैं। प्रेजेंट में वे टैगोर टाउन में तमन्ना पैरामेडिकल एंड नर्सिंग कॉलेज चलाते है। मां अनुरीता द्विवेदी सिविल लाइंस स्थित गर्ल्स इंटर कॉलेज में टीचर हैं।
इलाहाबाद से स्कूल एजुकेशन पूरी करने के बाद रीतिका ग्रैजुएशन के लिए मुंबई गई थीं। इनके मौसा एयरफोर्स अफसर थे। बचपन में उन्हें देखकर रीतिका पायलट बनने का सपना देखने लगीं। मुंबई के सोफिया कॉलेज से 2008 में ग्रैजुएशन के बाद उन्होंने अपना सपना साकार करने की कोशिशें शुरू कर दी थीं।
NYOOOZ से हुई ख़ास बातचीत में रीतिका ने बताया कि मैंने अपनी 10+2 इलाहाबाद के सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल से की है और साथ ही ग्रेजूएशन मुम्बई के सोफिया कॉलेज से की। उन्होंने बताया कि उड़ान भरना मेरे लिए मेरा सपना पूरा होने जैसा है। छोटी उम्र में भी मैं हवाई जहाजों को आसमान में देखती थी, जब तक वो जाता नहीं था उसपर से नज़रें नहीं हटाती थी।
साथ ही उन्होंने बताया कि जब वो सातवीं कक्षा में थी तब उन्होंने अपने पिता को पायलट बनने का सपना बताया था। जिसने उनको डरा दिया था। उन्होंने आगे कहा कि जब मैं नवीं कक्षा में पहुंची तब मुझे पता चला कि कमर्शियल पायलट बनने के लिए भौतिक और गणित होना जरुरी है। जिसके बाद मेरा सपना टूट गया है। मैनें कभी साइंस चुनने का नहीं सोचा था।
कॉमर्स से 12वीं करने के बाद मैं मुम्बई पढ़ाई करने के लिए चली गई। वहां जाकर मुझको पता चला कि एनआईओएस के जरिए मैं फ्लाईंग स्कूल के लिए योग्य हो सकती हूं। फ्लाईंग स्कूल की छात्र बनने के बाद मैंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मेरे लिए पायलट की जॉब सबसे चुनौतीपूर्ण नौकरी है।
साथ ही रीतिका ने कहा कि छोटे शहर के लोगों को इसकी जानकारी भी कम है। इसकी वजह इस प्रोफेशन ने बाकी प्रोफेशन की तरह लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल नहीं की है। हालांकि मैंने अपनी फ्लाईंग स्कूल की पढ़ाई विदेश से की थी लेकिन मेरे अनुसार भारत में भी काफी अच्छे फ्लाईंग स्कूल है।
उनमें से एक उत्तर प्रदेश में है।
रीतिका द्विवेदी से इलाहाबाद की उनकी पसंदीदा जगह पूछने पर उन्होंने बताया कि एल चिको मेरी पसंदीदा जगह है। अब हमको अपनी सेहत का खास ख्याल रखना पड़ता है। साथ ही उन्होंने कहा कि स्ट्रीट फूड में बैराना की चाट भी मुझको बहुत पसंद है।
अपनी कामयाबी के सवाल पर रीतिका ने कहा कि मैं घर में सबसे छोटी हूं। कभी भी मैंने किसी भी बात के लिए मां-पिता से ना नहीं सुना। मां-पिता हमेशा से ही हमारे सर्पोट में रहे हैं। अब मैं बेंगलुरु में रहती हूं और साल में एक बार घर जाती हूं। घर पर जाकर सुकून मिलती है।
रीतिका ने कहा कि 2009 में मैंने इंडिगो फ्लाइट्स के कैडर प्रोग्राम के लिए एप्लाई किया और सिलेक्ट हो गई। मार्च में मुझे ट्रेनिंग के लिए अमेरिका भेज दिया गया। यहीं से मेरी उड़ान शुरू हो गई।
उन्होंने बताया कि यूएस से इंडिया लौटने के बाद रीतिका ने कमर्शियल पायलट लाइसेंस के लिए एप्लाई किया। लाइसेंस बनने के बाद वो इंडिगो कंपनी से ही जुड़ी रहीं। लाइसेंस बनने के बाद 2011 में स्पेन में 3 महीने की ट्रेनिंग ली। 2012 से लगातार मैं एयरबस a320 उड़ा रही हूं।
रीतिका के मुताबिक फ्लाइंग में 37 परसेंट लेडीज पायलट हैं। लड़कियों को फ्लाइंग को भी करियर ऑप्शन के रूप में देखना चाहिए। अपने यादागार पल के बारे में रीतिका ने बताया कि अपने मम्मी पापा को अपनी जहाज में बैठाकर फ्लाइट उड़ाना सबसे यादगार पल रहा। वहीं शादी की बात पर रीतिका ने कह कि वो अभी सिर्फ अपने करियर पर ध्यान देना चाहती हैं।
रीतिका की बहन प्रीतिका और भाई राघव सुप्रीम कोर्ट में लॉ प्रैक्टिस कर रहे हैं। उनके ताऊजी राकेश द्विवेदी और चाचा दिनेश द्विवेदी भी सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हैं। आपको बता दें कि रीतिका के कजिन एकलव्य द्विवेदी आईपीएल के 10वें सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद टीम की तरफ से खेले थे।