सिटी स्टार: देहरादून के विपिन थपलियाल 'Hello' के जरिये सिखाते हैं विदेशी भाषा

  • Hasnain
  • Saturday | 20th January, 2018
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संक्षेप:

  • विपिन थपलियाल देते हैं बच्चों को विदेशी भाषाओं की ट्रेनिंग
  • अलग अलग रणनीतियों से करते हैं बच्चों का प्रशिक्षण
  • गढ़वाली में लिख चुके हैं अब तक कई कविताएं 

देहरादून: वो रचनात्मकता ही है जिससे कोई भी व्यक्ति एक ही काम को अलग दृष्टिकोण से समाज के सामने पेश करता है। उसी का मिसाल बन चुके हैं 29 साल के विपिन थपलियाल।

विपिन थपलियाल देहरादून में विदेशी भाषाओं को सिखाने का Hello नाम का संस्थान चलाते हैं। जिसमें अंग्रेजी, फ्रेंच, चीनी, जर्मन जैसी विदेशी भाषाएं एवं ILETS और TOEFL जैसे विदेशी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी शामिल है।

विपिन ने NYOOOZ से बात करते हुए बताया "एविएशन का कोर्स करने के बाद उन्हें कुछ अलग करना था और लेखनी में शौक होने के कारण उन्होंने लिखना शुरू किया ,दिल्ली से देहरादून आये और अपने दोस्त के वौइस् नाम के इंस्टीट्यूट में बतौर भाषा अध्यापक के तौर पर काम किया। वैसे तो उन्हें कभी भी अध्यापक नही बनना था लेकिन वौइस् में काम करते हुए जब उन्हें 7 साल से 70 साल तक के लोगों को पढ़ाने का मौका मिला तो उन्हें इस काम में दिलचस्पी आने लगी।"

विपिन बताते हैं कि पहले से ही रचनात्मक दृष्टिकोण होने के कारण उन्हें कुछ अलग करने की चाहत थी जो वो वहां नहीं कर पा रहे थे। इस कारण 2014 मे उन्होंने अपना खुद का Hello नाम का संस्थान खोलने का सोचा। विपिन ने आगे बताया कि शुरुआती दौर में उन्होंने बस्तियों के बच्चों और सरकारी स्कूलों के बच्चों को भाषा की अहमियत से अवगत कराया और यही वजह रही कि उनके प्रथम वर्ष मे वह इतने लोकप्रिय हो गए कि उन्हें शहर में सभी लोग जानने लगे।

NYOOOZ ने जब उनसे पूछा कि शहर में ऐसे और भी संस्थान है जो यही काम कर रहे है तो आप अपने आप संस्थान को इस सब के बीच अलग कैसे पाते है ?

इसका स्पष्ट रूप से जवाब देते हुए विपिन ने कहा "मेरे शहर के किसी भी संस्थान से कोई भी प्रतिस्पर्धा नहीं है। मैं सिर्फ और सिर्फ प्रायोगिक गुणवत्ता पर ध्यान देता हूं। मैं बच्चों को बताना चाहता हूं कि ये कोई विषय नहीं है बल्कि एक भाषा है जो सुनने ,समझने, बोलने ,और उसका निरीक्षण करने से ही आती है ना कि उसको विषय की तरह रटने से। इस प्रकार से मैं अपने संस्थान में ज्यादा से ज्यादा तौर पर व्यावहारिक और व्यक्तिगत विकास पर जोर देता हूं ताकि बच्चों का सम्पूर्ण तौर पर विकास हो सके"

भले ही विपिन विदेशी भाषा को बढ़ावा देते हैं लेकिन वो बताते हैं की गढ़वाली होने के कारण वह गढ़वाली बोली को उतना ही आगे रखते हैं।विदेशी भाषा उनके लिए व्यवसाय की तरह है लेकिन गढ़वाली बोली के विकास में उनकी निजी दिलचस्पी है। इसी कारण उन्होंने अभी तक 13-14 कविताएं गढ़वाली में लिखी है।

भाषा अध्यापक होने के साथ-साथ विपिन 2012 में फिल्म राइटर एसोसिएशन के साथ काम कर चुके हैं और हिमालयन फिल्म्स जोकि स्थानिय संस्कृति को बढ़ावा देने का काम करता है उसके साथ भी इन्होंने काम किया है।साथ ही साथ यह "Strange destiny"नामक किताब के लेखक भी हैं।

हरफनमौला विपिन अपने काम से काफी सन्तुष्ट और खुश हैं और आगे भी यही जारी रखेंगे।विपिन मानते हैं कि सभी को अपने काम के प्रति ईमानदार होना चाहिए तभी उस काम को करने का मजा है। उनके सक्सेस मंत्र के बारे में उनसे पूछने पर उन्होंने बताया "Learning should be fun,that is the only way we can be successful"

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