CITY Star: गोरखपुर की कवयित्री चेतना पांडे मधुर कविताओं से जीत चुकी है सैकड़ों दिल

  • Pinki
  • Saturday | 16th September, 2017
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संक्षेप:

  • चेतना पांडेय ने कम उम्र में शुरू की कविता लिखना
  • आज अपनी कविताओं से जीत चुकी है सैकड़ो दिल
  • तबला बजाने में भी चेतना पाया राष्ट्रीय पुरस्कार

गोरखपुरः "सुगम पंथ पर जांऊ तो दुर्गम पंथ चुनेगा कौन, मैं भी चुप हो जांऊ तो क्रान्तिनाद फूकेंगा कौन" ये अल्फाज है कवियत्री चेतना पांडेय के... चेतना पांडेय वह नाम है जिसने कम उम्र में ही कविताओं को लिखना शुरू कर दिया। कविता के साथ-साथ चेतना तबला बजाने में भी राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुकी है।

गोरखपुर के एक छोटे से गांव मझगावां में राम दत्त पांडेय के घर 1984 में जन्मी चेतना के प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में हुई। गोरखपुर विश्व विद्यालय से हिंदी में पीएचडी करने के बाद सामाजिक मुद्दे से जुडी और गोरखपुर विवि से भारी बहुमत से उपाध्यक्ष चुनी गयी। इसके अलावा, गरीबों के मदद के लिए अपना जीवन समर्पित किया। चेतना अब तक राष्ट्रिय स्तर की सैकड़ो कवि सम्मलेन में शिरकत कर चुकी है।

उनकी लिखी एक पुस्तक "चेतना के गीत" काफी वाह वाही लूटी है। उनकी दूसरी पुस्तक गीत और मुस्तक जल्द ही उपलब्ध होने वाली है। चेतना से आकाशवाणी और दूरदर्शन में भी अपनी प्रस्तुति की है और अपने शब्दों और काव्य के माध्यम से श्रोताओं को मग्ग मुग्ध कर दिया है। चेतना ने  देश के तमाम बडे काव्यमंचो पर सैकडों कवि सम्मेलन किये है और लगातार कर रही है।

रेडियो व दूरदर्शन पर लगातार काव्य पाठ के अलावा तबला वादन भी में मुकाम हासिल किया है। तबला वादन और हिन्दी कविता के लिए जयपुर में आयोजित अन्तर्विश्वविद्यालयीय अन्तर्राष्ट्रीय युवा महोत्सव में स्वर्ण पदक तथा तबला वादन में संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित प्रतियोगिता स्वर्ण पदक  की विजेता रह चुकी है।

चेतना की चेतना और प्रतिभा ने उन्हें हिंदी साहित्य में नयी बुलंदियो पर पहुंचाया है। निश्चित ही चेतना अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवायेंगी।

चेतना की कविताओं के चंद पक्तियां

" गजब के खेल दिखलाये कलन्दर,

समय की चाल से हारा सिकन्दर,

किसी के हाथ में बस प्यास आई,

किसी ने पी लिया सारा समन्दर"  

और

"वह बुरे दौर की आहट खरीद लेता

किसी भी दर्द से राहत खरीद लेता है

लोग मरते हैं यहाँ एक घूँट पानी को

वह तो एक लम्हे में पनघट खरीद लेता है"

इन्ही कविताओं ने चेतना को अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में नयी मुकाम दी और उन्हें सिटी स्टार बना दिया। 

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