सिटी स्टार: इंडिया रशिया फ्रेंडशिप कार रैली के लिए चुने गए हरिद्वार के मयंक चोपड़ा

  • Hasnain
  • Friday | 18th August, 2017
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संक्षेप:

  • धर्मनगरी के मयंक चोपड़ा इंडिया रशिया फ्रेंडशिप कार रैली के लिए चुने गया
  • मयंक पहले ऐसे कार रेसर, जिनका अंतरराष्ट्रीय कार रैली के लिए हुआ चयन 
  • मयंक का कहना- कार रेसिंग उनका जुनून

 

हरिद्वार: हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा` यानी शख्स हिम्मत करके किसी काम को करता है तो ऊपर वाला भी उसकी हर मदद करता है। यह कहावत एकदम सटीक बैठती है धर्मनगरी के मयंक चोपड़ा पर। उन्होंने महज तीन साल के कार रेसिंग करियर से उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुना गया है।

मयंक दिल्ली से सेंट पीटर्सबर्ग तक होने वाली 19000 किलोमीटर की इंडिया रशिया फ्रेंडशिप कार रैली के लिए चुने गए हैं। राज्य के लिए गौरव की बात तो यह है कि मयंक पहले ऐसे कार रेसर हैं जिनका चयन अंतरराष्ट्रीय कार रैली के लिए हुआ है। इतना बड़ा गौरव मिलने के बाद मयंक का कहना है कि कार रेसिंग उनका जुनून है।

बताया जा रहा है कि ये रैली 8 सितंबर से 15 अक्टूबर तक दिल्ली से सेंट पीटर्सबर्ग रशिया तक होगी। इस दौरान मयंक ने कहा है कि 3 साल में 16 रैलियों में से 12 में जीत हासिल की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई अच्छे ट्रैक हैं लेकिन बस जरूरत है तो इस प्रतिभा को आगे बढ़ाने की।

मयंक को यह गौरव मिलने के बाद भाई शशांक का कहना है कि भाई अपने इस जुनून के लिए 24-24 घंटे जागते हैं। वे कहते हैं कि जब उनका भाई बाहर जाता है तो कई बार डर भी लगता है लेकिन जब वो जीतकर आते हैं तो बहुत खुशी भी होती है। 

वहीं जब से मयंक को यह अवसर मिला है तब से उनके जानने वालों नें खुशी की लहर दौड़ गई है। इसके साथ ही उनका कहना है कि हमें मयंक की प्रतिभा पर पूरा विश्वास था कि वह इस कार रेसिंग के लिए जरूर चुने जाएंगे। इस पर उनके दोस्त आशीष का कहना है कि अभीतक मयंक ने उत्तराखंड का नाम रोशन किया है लेकिन आने वाले दिनों में वह भारत का नाम भी रोशन करेंगे।

इस दौरान परिजनों का कहना है कि किसी खिलाड़ी के जीतने के बाद सरकारें खिलाड़ी के लिए इनामों की घोषणा करती हैं लेकिन जिस समय खिलाड़ी मेहनत कर रहा होता है उस समय उसे कोई मदद नहीं मिलती है। जिस कारण कई प्रतिभावान खिलाड़ी उस मुकाम तक नही पहुंच पाते है जहां उन्हें पहुंचना चाहिए।

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