सिटी स्टारः समाज से ठुकराए बच्चों को यह सोशल वर्कर देती हैं जीने की राह

  • Sonu
  • Saturday | 5th August, 2017
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संक्षेप:

  • मूक बधिर बच्चों को देती हैं जीने की राह
  • MNC की जॉब छोड़ कर रहीं हैं सोशल वर्क
  • बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा करने का बीरा उठाया

कानपुरः मूक बधिर बच्चो को अक्सर समाज और उनके परिवार के लोग ठुकरा देते है, लेकिन इन बच्चो के अन्दर भी काफी प्रतिभा होती है। सिर्फ देखने और समझने का नजरिया होने चाहिए, एक ऐसी ही सोशल वर्कर है जिन्होंने मल्टी नेशनल कम्पनी की जॉब छोड़ कर इन बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा करने का बीरा उठाया और इस मकसद में काफी हद तक कामयाब भी मिली मनप्रीत कौर 50 बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही हैं जिसमें बच्चे मोबाइल ठीक करना, राखी बनाना और स्वच्छता से जुड़ी सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

दर्शन पुरवा में रहने वाली मनप्रीत कौर दिव्यांग डेवलपमेंट सोसायटी की अध्यक्ष है। परिवार में पति हरकीरत सिंह दवा व्यापारी है, ससुर बरन सिंह और सास जोगिन्दर सिंह और बेटी हुनर के साथ रहती है। हुनर 9वीं क्लास की स्टूडेंट है। मनप्रीत ने इंग्लिश से एमए, बीएड किया है और 2013 में मूक बधिर पीजीपीडी का इंदौर से कोर्स किया है। NYOOOZ ने मनप्रीत से खास बातचीत की।

NYOOOZ: आप ने मल्टीनेशनल कम्पनी की जॉब क्यों छोड़ी और सोशल वर्कर कैसे बनी?

मनप्रीत कौर ने बताया कि मूक बधिर बच्चों को उनके मां, बाप, रिश्तेदार और समाज ठुकरा देता है। इन बच्चों की बात इनके माता पिता ही नहीं समझ पाते है उन्हें क्या दिक्कत है, क्या समस्या है, वह क्या कहना चाहते है? जिसकी वजह इन बच्चों को लोग कूड़ा समझते है और बच्चों के मन में हीन भावना आती है। उन्होंने बताया कि जब मैं इंदौर में मूक बधिर का पीजीपीडी का कोर्स कर रही थी तभी मेरे मन में ख्याल आया कि इन बच्चों को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो अपने मन की बात भी किसी से नहीं कह पाते है। नहीं वह लोगों की बात सुन सकते है ना ही समझ सकते है। तभी मैंने ठान लिया कि इन बच्चों के लिये मैं कुछ करुंगी इनको इस काबिल बनायेगे कि वह भी समाज में सिर उठाकर जी सके।

मनप्रीत ने बताया कि मैं ईएक्सएल मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब करती थी यदि जॉब नहीं छोड़ती तो आज इंडिया से बाहर होती। लेकिन इन बच्चों की कार्यप्रणाली से इतना प्रभावित हुई कि मैंने जॉब छोड़ दिया। कानपुर आ कर मैंने अपने ही घर के आधे पोर्शन में इन बच्चों के लिये स्टडी रूम खोल दिया। इस काम में मेरे पति और सास, ससुर ने मेरा सहयोग किया। मैं पिछले 5 साल से इन बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही हूं, अब ये बच्चे अपने मन की बात अपने पैरेंट्स से कह सकते है।

NYOOOZ: बच्चो के लिए क्या करना चाहती है आप?

उन्होंने ने कहा कि मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट है कि इनके लिये हॉस्टल बनाये जिसमें यह बच्चे यही पर रह कर पढ़ाई कर सके। इसके साथ ही रोजगार के लिये प्रशिक्षण भी ले सके। उन्होंने ने कहा कि इन 50 हुनर मंद बच्चों को सिलाई, कंप्यूटर, मोबाइल रिपेयरिंग और अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण ले रहे है। ताकि यह बच्चे आगे चलकर अपने पैरों पर खड़े हो सके और किसी पर बोझ नहीं बने। मूक बधिर बच्चे हिमाशु गुप्ता, स्वाति गुप्ता, सिमरन, साहिल, गोपाल ने बेटी बचाओ के पोस्टकार्ड बनाये है। इन पोस्टकार्डों से डीएम इतना प्रभावित हुये कि उन्होंने सभी स्कूल को आदेश दिए थे कि इन पोस्टकार्ड की प्रदर्शनीय लगाकर इन्हें ख़रीदा जाये। ताकि यह इससे होने वाली इनकम इन बच्चों को दिया जा सके।

इसके साथ ही बच्चों ने राखियां भी बनाई है हमने इन राखियों के स्टॉल डिएम कार्यालय और कई स्कूल कॉलेजों में भी लगवाये है। जिला प्रशासन स्तर पर शहर वासियों ने भी बच्चों द्वारा बनाई गई राखियों को बहुत पसंद किया है। लोगों ने इनकी राखियों को ख़रीदा भी है।

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