Exam से 2 दिन पहले पिता की हुई थी हत्या, अब किया सपना पूरा

  • Sonu
  • Tuesday | 26th December, 2017
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संक्षेप:

  • 2011 में हुआ था पापा का मर्डर
  • 450 लोगों के बीच से चुना गया
  • सपना पूरा करने यहां पहुंचा बेटा

कानपुरः कहते है जिसमें कुछ कर गुजरने की क्षमता होती है उसे दुनिया की कोई कायनात नहीं रोक सकती है। कुछ ऐसी की कहानी है कानपुर के लेफ्टिनेंट श्रीकान्त मिश्रा की। लेफ्टिनेंट श्रीकान्त मिश्रा जब हाईस्कूल में थे और उनकी 10वीं की परीक्षा के ठीक 2 दिन पहले पिता की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद भी उसने एग्जाम दिया और 92 प्रतिशत नंबर आए थे। आज इंडियन आर्मी में जाने की जिद ने उसे कर्नल बना दिया। श्रीकान्त ट्रेनिंग के बाद ज्वाइनिंग लेटर लेकर पहली बार घर आए है।

2011 में हुआ था पापा का मर्डर

बर्रा थाना क्षेत्र के बर्रा आठ में रहने वाली गीता देवी के पति मनोज मिश्रा की 7 मार्च 2011 को गोली मार दी गई थी। मनोज कानपुर देहात में एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थे। इनके परिवार में बेटा श्रीकांत और बेटी नयन है।

गीता ने बताया, ``7 मार्च 2011 को पति की गोली मार दी गई थी। 9 मार्च से बेटे 10वीं की परीक्षा थी, मैंने उसके चेहरे को देखा था, जिसमें पिता को खोने का गम और इस छोटी उम्र में हत्या के बाद खौफ भी था। बेटे ने पूरा पेपर दिया, जब रिजल्ट आया तो उसके 92 प्रतिशत नंबर थे। पति चाहते थे बेटा आर्मी ज्वाइन करे, इसके लिए मैं उसको प्रेरित करती रही।

450 लोगों के बीच से चुना गया

श्रीकांत ने बताया, ``पापा के मर्डर के बाद मैं और पूरा परिवार टूट गया था। मैंने हाईस्कूल(92) और इंटर (93) परसेंट से पास हुआ। पापा के दोस्त इंद्र कुमार एयर फ़ोर्स में विंग कमांडर के पद पर तैनात है। उनके बताने पर मैंने टी.ई.एस (टेक्नीकल एंट्री स्कीम) का इंटरव्यू दिया था। इसमें रैंकिंग को देखकर सिलेक्शन होता है, 2013 में टीईएस की रैंक 85 फीसदी थी। जिसमें मुझे इस परीक्षा में बैठने का मौका मिल गया।

इस परीक्षा को लाखों लोगों ने दिया था, जिसमें 450 लड़कों का सिलेक्शन हुआ था। जिसमें कई प्रॉसेस से होकर मात्र 6 लड़कों को चुना गया। इसके बाद एक साल की ट्रेनिंग हुई फिर सिविल इंजीनियरिंग से 4 साल का बीटेक बोधगया में किया। अभी 22 दिसंबर 2017 को ज्वाइनिंग लेटर मिला है। मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने अपने पिता का सपना पूरा किया है। यदि वह आज होते तो बहुत खुश होते, उनकी कमी को पूरा तो नहीं किया जा सकता है लेकिन उनके सपने को साकार करने का मैं पूरा प्रयास कर रहा हूं।

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