सिटी स्टारः डॉक्टर ब्रजेश मिश्र ने कई लोगों को अपंग होने से बचाया

  • Sonu
  • Saturday | 16th September, 2017
  • health
संक्षेप:

  • छोटे बच्चों की भी सर्जरी की हैं
  • सबसे जरूरी है जान बचाना
  • सबसे पहले ब्लीडिंग को रोकना जरूरी

लखनऊः कहते हैं कि दुनिया में अगर भगवान के बाद किसी को पूजा जाता है तो वो है डॉक्टर और यह बात निःसंदेह सच है क्योंकि व्यक्ति जब ज़िन्दजी और मौत के बीच झूलता है तो उस समय या तो भगवान को याद करता है या डॉक्टर से विनती करता है अपनो की ज़िन्दजी बचाने के लिए। उस समय का मंज़र ये होता है कि भगवान भी डॉक्टर के आगे धूमिल हो जाता है।

आधुनिक युग में अगर यह परिभाषा सभी डॉक्टरों पर लागू हो तो यह भी गलत होगा क्योंकि अब फ़रेब की दुनिया ने डॉक्टर भी कभी-कभी हैवान का रूप रख लेते हैं। लेकिन फिर भी अस्पतालों में जीवनदान देने वाले धर्मात्मा ज़िंदा हैं।

राजधानी लखनऊ में भी एक ऐसे डॉक्टर हैं जिन्होंने न जाने कितनों को जीवनदान दिया है और उनका यह कार्य जारी है। हम बात कर रहें हैं प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉक्टर ब्रजेश मिश्रा की जिन्होंने न जाने अपने चिकित्सक जीवन में कितनों को अपंग होने से बचाया और जीवनदान दिया।

डॉक्टर ब्रजेश के इस अद्भुत कार्य पर और चिकित्सक जीवन पर NYOOOZ संवाददाता शान्तनु त्रिपाठी ने बातचीत की और जाना कि आखिर डॉक्टर साहब कैसे लोगों की ज़िन्दजी बचाते हैं और भी अन्य मुद्दों पर चर्चा  की पेश हैं उसके कुछ अंश:

NYOOOZ: आपने आज तक अपने अनुमान से कितने ऐसे केसों को संभाला, जिसमें मरीज के ना बचने या अपंग होने के ज्यादा चांसेस थे?

डॉक्टर: ऐसे तो कई केसेस होते हैं अगर जीवन और म्रत्यु के बीच वाले मरीजों के मामलों को देखें तो 50 पेशेंट ऐसे होंगे जिनका अंग शरीर से बिल्कुल अलग हो गया हो। इस तरह के केस को रिप्लान्टेशन बोलते हैं। ऐसे केस भी आते जिनमें अंग कटा होता है लेकिन अलग नहीं होता। इस तरह के केस तो देखा जाए तो रोज से ही आते हैं।

मुझे याद है कि कि नेपाल में एक केस मेरे पास ऐसा था जिसमें व्यक्ति ने अपना हाथ खुद काट कर देवी को दान कर दिया था। उसके घर वाले हाथ को जोड़ने पर दवाब दे रहे थे लेकिन वो खुद तैयार नही था बड़ी मुश्किल से मैंने उसका हाथ जोड़ा। यह केस मुझे हमेशा याद रहेगा।

एक केस यूपी का ही था जिसमें लड़की का हाथ तलवार से काट दिया गया था उसे हमने जोड़ा था और उसमें कुछ समस्या आने के बाद उसे फिर से हटाया था लेकिन इस केस में हमने लड़की की जान बचाई थी।

NYOOOZ: आपरेशन के वक़्त जब मरीज आपके सामने होता है तो क्या सोचते हैं?

डॉक्टर: मैं आपरेशन थिएटर के अंदर कुछ और बाहर कुछ और रहता हूँ। कहने का मतलब ये है कि अगर मैं सड़क पर किसी को कटा हुआ या ज़ख्मी देख लूं तो परेशान हो जाऊंगा मुझे भी दहशत हो जाएगी। लेकिन अगर वही व्यक्ति ओटी में मेरे सामने होगा तो मैं उसे कैसे बचाया जाए ये देखूंगा। आपरेशन के समय मेरा कर्तव्य है कि मुझे व्यक्ति को अपनी पूरी ताकत लगाकर बचाना।

NYOOOZ: आपको आपरेशन में क्या लगता है कि डॉक्टर को किस बात पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए जिससे क़ामयाबी मिल सके?  

डॉक्टर: सबसे बड़ी बात तो ये है कि डॉक्टर को मरीज की जान कैसे बचाई जाए यह सोचना चाहिए। जरूरी है कि चिकित्सक की ट्रेनिंग अच्छी हो। आपरेशन से पहले पूरी जांच करें और हर केस पर समय से कार्य जारी करें बिना किसी भी देरी के। जरूरी है कि सबसे पहले ब्लीडिंग रोकिए और पूरी सावधानी के साथ कार्य करें।

मेरे घर मे कोई भी डॉक्टर नही है मैंने अपने बल पर पूरी तैयारी की और पेपर क्वालीफाई किया और डॉक्टर बना। हमारा परिवार ग्रामीण क्षेत्र से संबंध रखता है। मेरे ऊपर किसी का दबाव नहीं था मैंने खुद ही इस प्रोफेशन को चुना है।

NYOOOZ: क्या डॉक्टर को किसी के सहयोग की जरूरत होती है अगर होती है तो किसकी?

डॉक्टर: बिल्कुल सहयोग के बिना तो कुछ संभव ही नहीं है अक्सर हमें अपने सीनियर की मदद लेनी पड़ती है और पूरी टीम का सहयोग ही हमको और ऑपरेशन को सफल बनाता है। कई बार अन्य विभागों के डॉक्टर्स की भी मदद लेनी होती है।

NYOOOZ: आपने आज तक किन-किन अंगों की सर्जरी ज्यादा की और किस में सफलता ज्यादा मिली?

डॉक्टर: देखा जाए तो मैंने कैंसर रीस्टोरेशन सर्जरी और हाथों की सर्जरी सबसे ज्यादा की है। वैसे तो मेरे पास कई सर्जरी के केस आये दिन आते रहते हैं और पैरों की भी सर्जरी की है। छोटे बच्चों के पैरों और हाथों की भी सर्जरी की है। सभी में अभी तक अच्छी सफलता मिली है।

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