सिटी स्टारः 12 साल के देव त्रिवेदी ने किया लखनऊ का नाम रोशन

  • Sonu
  • Sunday | 20th August, 2017
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संक्षेप:

  • घर वालों ने किया हमेशा प्रेरित
  • 9 साल से सीख रहा हूं ग्रेपलिंग
  • अब जीतना है सबसे बड़ा पुरस्कार

लखनऊ: कहते हैं कि उम्र से कुछ नहीं होता है होता है ज्ञान और हुनर से होता है। राजधानी के एक 12 साल के बच्चे ने सिर्फ राजधानी ही नही बल्कि पूरे देश का नाम खेल के क्षेत्र में आगे किया है। ये 12 साल का महारथी है देव त्रिवेदी जिससे NYOOOZ ने खास बातचीत में जाना कि आखिर इसने कैसे अपना नाम वर्ल्ड ग्रेपलिंग चैंपियनशिप में दर्ज करवाया जो कि आज़रबाइजान के बाकू शहर में अक्टूबर में होने जारही।

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश ग्रेपलिंग एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी रविकांत तिवारी ने NYOOOZ को बताया कि वर्ल्ड ग्रेपलिंग चैंपियनशिप 18 से 20 अक्टूबर तक चलेगा। पेश है देव त्रिवेदी से NYOOOZ की खास बातचीत के कुछ अंशः

Nyoooz: आप कब से खेल रहे गरेबलिंग हैं?

देव: मैं जब नौ साल का था तब से यह खेल खेल रहा हूँ। आशा है कि आगे भी खेलता रहूंगा क्योंकि मेरी इसमें रुचि है।

Nyoooz: क्या आपके परिवार में भी कोई खेल से जुड़ा है या केवल आपने ही शुरुआत की है।

देव: देखा जाए तो मेरे पूरे परिवार में कई लोग खेल से जुड़े हैं। मेरे पिता फतेपुर के ओलिंपिक संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं । सिर्फ इतना ही नही मेरे चाचा भी खेल से जुड़े हैं। ये सभी लोग मुझे खेलने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहते थे और मैं भी सीखते सीखते निपुड़ हो गया।

Nyoooz: आपने सब कुछ कहाँ से सीख और किससे जरा बताएं?

देव: मैंने सब कुछ लखनऊ की राइजिंग स्पोर्ट क्याअकादमी से सीखा । सीखने वाले थे रविकांत मिश्र जिन्होंने मुझे नेशनल लेवल लायक खेलने की क्षमता सीख के द्वारा प्रदान की है।

Nyoooz: क्या क्या बातें ध्यान देने वाली होती हैं खेल के समय?

देव: ग्रेबलिंग में सबसे ज्यादा जरूरी है टेक्निक्स पर ध्यान रखना अगर आप कहीं उसमें चूकते हैं तो काम गड़बड़ हो जाता है। दूसरी चीज है पैरो का मूवमेंट अगर आप जरा भी चुके तो दूसरा आपके ऊपर हावी हो जाएगा। इसलिए टेक्निक और पैरों का संचालन पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

Nyoooz: आपने अभी तक क्या-क्या हासिल किया है?

देव: मैंने स्कूल लेवल पर तो बहुत पुरस्कार जीते हैं लेकिन पिछले साल मैंने साउथ एशियाई चैंपियनशिप में सिल्वर मैडल जीत है। लेकिन अब जिस मैदान में मैं उतरने जारहा हूं वो जितना ज्यादा महत्वपूर्ण है।

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