सिटी स्टारः मिलिए, 25 डिग्री हासिल करने वाली लखनऊ की अनीता सहगल से

  • Sonu
  • Saturday | 2nd September, 2017
  • local
संक्षेप:

  • अनीता हैं पहली महिला परेड कमेंटेटर
  • रंगोली बनाने में है महारथ हासिल
  • कई भाषाओँ का है ज्ञान

लखनऊः बनारस की सुबह और अवध की शाम पूरी दुनिया में मशहूर है और दिनों को संगम हर किसी के किस्मत में नहीं होता है लेकिन राजधानी की एक महिला अनीता सहगल जिनकी किस्मत में यह अवध और बनारस की जोड़ी है.  

आपको बता दें कि राजधानी की अनीता सहगल जिनके लिए लिम्का बुक ऑफ़ अवार्ड से भी आवाज आगई है. जब अवार्ड की बात चलती है तो शायद वो किसी भी अवार्ड से अछूती नहीं रही हैं. संगीत के क्षेत्र में चित्रकारी के क्षेत्र में अनीता जी का किसी से कोई मुकाबला नहीं है. शिक्षा से लेकर हर हुनर इनकी गिरिफ्त में है. आखिर इनके पास क्या-क्या खूबियां हैं इन्ही सब बातों को जानने के लिए NYOOOZ ने की अनीता सहगल से की ख़ास बातचीत की.

NYOOOZ: आपने आज तक कितनी डिग्री हासिल की हैं और यह सब खुद किया या किसी और की मदद लेनी पड़ी?

अनीता: मेरी 25 डिग्री पूरी हो गयी हैं इस समय में लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीएड कर रही हूं वो भी जल्द ही ख़त्म होने वाली है. मैंने डिग्री में मास्टर इन सोशल साइंस, जर्नलिज्म, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, फोटोग्राफी के अलावा और भी बहुत कुछ किया है. जो सवाल आपने पूछा वही सवाल और लोग भी पूछते हैं कि आखिर इतना सब कैसे कर लिया तो मैं आपको बता दूँ कि मैंने जो भी किया है खुद ही किया है क्योंकि मुझे लगता है कि आपको खुद ही सब कुछ करना चाहिये उससे आपका कॉन्फिडेंस काम के प्रति बढ़ता है और मेरा एक जो सबसे बड़ा शौक है वो है महानत.

NYOOOZ : शिक्षा के साथ आप में कौन कौन सा हुनर है, जरा बताएं?

अनीता: अगर यह सवाल आप पूछे की कौन सा हुनर नहीं है तो ज्यादा अच्छा रहेगा मुझे 20 से 22 कलायें आती हैं. अगर बात शिक्षा की करें तो लोग कहते हैं कि इंग्लिश बोर्ड पढ़ना मुश्किल है या कुछ कहते हैं कि हिंदी को नहीं पढ़ सकते लेकिन मैं सभी बोर्ड के बच्चों को पढ़ा सकती हूं. मैं पेंटिंग भी करती हूं और रंगोली में कहा जाए तो महारथ हासिल है क्योंकि जब मैं रंगोली बनती हूं तो लोग कहते हैं कि यह अनीता की रंगोली नहीं कारपेट होगी.

साथ ही शेरो शायरी भी करती हूं आज तक मैंने करीब 2000 से ज्यादा शेर-शायरियाँ लिखी होंगी और यह मेरा अपना खुद का क्रिएशन हैं किसी की ममद नहीं है.     

NYOOOZ: आपने कौन-कौन से पुरस्कार हासिल किये हैं जरा बताएं?

अनीता: पुरस्कार तो काफी मिले हैं और सभी अलग-अलग क्षेत्रों में मिले हैं. महवपूर्ण पुरस्कारों की बात करें तो मुझे कलाम साहब ने उत्तर प्रदेश की बेस्ट एंकर का अवार्ड दिया था, गवर्नर ने बेस्ट पेंटर यानी श्रेष्ठ चित्रकार का पुरस्कार दिया था, वीमेन अचीवर अवार्ड भी मुझे मिला है. मैं पहली महिला कमेंटेटर हूं जिसने आज़ादी के बाद 26 जनवरी पर परेड की कमेन्ट्री की जिसके लिए मुझे फर्स्ट महिला कमेंटेटर का पुरस्कार प्राप्त हुआ.

NYOOOZ: आप एंकर और चित्रकार इतनी अच्छी हैं आपने यह कहां से सिखा क्या डिग्री के कारण?

अनीता: ऐसा बिलकुल नहीं है कि डिग्री से मैंने यह सब सीखा हां डिग्री से जानकरी जरूर ज्यादा हो जाती है लेकिन यह सब भगवान का तोहफ़ा है मेरे लिए, क्योंकि डिग्री के बाद पारंगत होने में काफी समय लगता है लेकिन मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं है मैं नए कामों को भी अच्छी तरह कर लेती हूं और कभी किसी काम से इनकार नहीं करती. सब काम करने के कारण मुझे कभी भी किसी काम के लिए इमरजेंसी काल आजाता है तो वहां डिग्री का कोई लेना देना नहीं है बस टैलेंट काम आता है जो शायद मुझे भगवान ने दिया है.

NYOOOZ: क्या आपको पूरे परिवार का साथ मिला कार्यक्षेत्र में या नहीं?

अनीता: बिलकुल मेरे कार्य में सहगल साहब का काफी सहयोग मिला और परिवार का भी समर्थन मिला. लेकिन एक बात है कि जब तक आप खुद कुछ नहीं करना चाहते तब तक आपको ज्यादा सफलता नहीं मिल सकती इसलिए जरूरी है कि हर काम को खुद पूरे प्रयास और मन के साथ करें.

NYOOOZ: कुछ और ख़ास बताइए अपने बारे में जो अमुमन लोगों को नहीं मिलता हो?

अनीता: क्या ख़ास बताऊँ लखनऊ वालों को तो अनीता के बारे में सब कुछ पता ही है. वैसे मैं कई भाषाओँ में जानकारी रखती हूं जैसे अवधी, बुन्देली, उर्दू, हिंदी, इंग्लिश और भोजपुरी. साथ ही साथ मैं आर्टिकल भी लिखती हूं कई पत्र पत्रिकाओं में मेरे आर्टिकल भी छपे हैं. इस समय मैं एक NGO चला रही हूं जिसका नाम है ग्लोबल क्रिएशन जिसमें की महिलाओं को शिक्षा देती हूं और बच्चों को जो मलिन बसती के हैं उन्हें भी सही मार्ग पर लाने का पूरा प्रयास है.

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