City Star : मेरठ की एथलीट ख्याति माथुर ने तोड़ा नेशनल रिर्कोड

  • Pinki
  • Saturday | 16th December, 2017
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संक्षेप:

  • हौंसले की छलांग से जहां में फैली ख्याति
  • बिना सुविधाओं के एथलीट ख्याति माथुर बनी नेशनल चैंपियन
  • 33वीं जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीता

मेरठ- मंजिलें उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। हाई जंप की खिलाड़ी ख्याति माथुर पर ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं। सुविधाओं का अभाव और बिना कोच के कैसे आसमान पर सितारे की मानिंद चमका जाता है। यह कोई ख्याति से सीखे। मेरठ की इस बेटी ने सारे कयासों को पीछे छोड़ते हुए 33वीं जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर क्रांतिधरा का नाम रोशन कर दिया।

रूड़की रोड स्थित राजन कुंज निवासी विशाल माथुर का बेगमब्रिज पर माथुर फोटो स्टूडियों है। चौथी कक्षा में नन्ही ख्याति जब स्कूल के खेलकूद में अव्वल आयी तो पिता विशाल माथुर को समें बेहतर भविष्य की संभावनांए नजर आईं। वह उसे कैलाश प्रकाश र्स्पोटस स्टेडियम ले आए जहां उसका शुरूआती प्रशिक्षण शुरू हुआ। ख्याति जिला स्तर पर आगे बढ गई और असली कहानी तब शुरू हुई जब ख्याति ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत लिया। खुशी के साथ विषय चिंता का भी था क्योंकि कोच नहीं था। हाई जंप में प्रयोग होने वाले मेट तक यहां नहीं थे। जो मेट था वह जगह-जगह से फटा हुआ था।

उपस्थिति कम हुईं तो स्कूल से कट गया था नाम

विशात बताते हैं कि ख्याति को खेल के लिए दीवान पब्लिक स्कूल छोड़ना पड़ा। खेल की वजह से स्कूल की मानक उपस्थिति कम थी। ऐसे में स्कूल से नाम कट गया। बावजूद इसके ख्याति और उसके पिता ने हार नहीं मानी। हालांकि उन्होने खेल मंत्री चेतन चौहान से भी अपना दर्द साझा किया, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा।

ये पाई जीवन में उपलब्धियां

  • 2014 में गुजरात में आयोजित हुई सीबीएसई नेशनल में ब्रांज मेडल जीता
  • 2015 में विशाखापटटनम में आयोजित नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल झटका
  • 2016 में लखनउ में आयोजित स्टेट एथलेटिक चैंपियनशिप में हाई और लांग जंप में गोल्ड पर कब्जा जमाया
  • 2017 में जूनियर नेशनल एथलीट चैंपियनशिप में हाई जंप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया

दिखा दिया दम, ओलंपिक पर नजर

16 नवंबर 2017 से विजयवाड़ा में आयोजित 33वीं जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ख्याति उतरी तो उसके दिमाग में एक ही लक्ष्य था, वह था गोल्ड जीतना। उसने लक्ष्य पूरा किया और सोने का तमगा हासिल किया। इससे पहले वह सीनियर खिलाड़ियों के टिप्स और खुद की लगन से 2016 में कोयांबटूर में आयोजित जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुकी थी। वह भी नेशनल रिकॉर्ड ब्रेक करके। ख्याति का एक ही सपना है, ओलंपिक में देश का नाम रोशन करना। पिता विशाल बताते हैं यदि बेटी के करियर के लिए शहर, राज्य यंहा तक की काम भी छोड़ना पड़ा तो छोड़ देगें।

मां की मेहनत को सलाम

मां रचना माथुर के साथ ने बेटी को एक शानदार खिलाड़ी बना दिया है। मां को चैंपियनशिप के लिए बेटी के साथ जाना पड़ता है और पांच से दस दिन तक होटल में रूकना पड़ता है। लेकिन बेटी की उपलब्धि के आगे सारी परेशानी छोटी पड़ जाती है। बेटी के लिए उन्होने डायट चार्ट खुद ही बनाया है। इसमें बादाम, काजू, केला, दूध, अंडा और चिकन शामिल है।

नया कोच देंगे

बीमार होने की वजह से छुटटी पर चल रहे आरएसओ आले हैदर ने फोन पर बताया कि तकनीक एक बार स्टेबल हो जाए तो बस अभ्यास की जरूरत होती है। यहां पिछले वर्ष कोच गौरव की तैनाती हुई, लेकिन पारिवारिक वजह से वो यहां टिक नहीं पाए। लेकिन आने वाले समय में नए कोच के लिए प्रयास किए जाएगें।

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