CITY STAR: मेरठ के इस नन्हे गायक ने एफ.एम पर गज़ले गाकर बनाया रिकॉर्ड

  • Pinki
  • Saturday | 2nd September, 2017
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संक्षेप:

  • 3 साल की उम्र में पहली बार हुआ संगीत से वास्ता
  • रामलीला में हनुमान चालीसा सुनकर मिली संगीत की प्रेरणा
  • गायन के साथ ही वादन में भी महारत है हासिल

मेरठ- शहर में आजकल एक नन्हा सितारा बुलंदियों पर अपनी छटा बिखेर रहा है। अपनी आवाज़ के जादू से उसने अपने प्रशंसकों को ऐसा बांधा है कि इस नन्हें कलाकार के प्रशंसक जहां भी जाते हैं एक बार आयुष कंसल को बुलाने की मांग जरूर कर आते हैं। ‘आयुष कंसल‘ शहर में तेज़ी से प्रसिद्धि पाता एक नन्हा गायक है जिससे आज हम आपको NYOOOZ के ज़रिए मुखातिब कराने जा रहे हैं

सवाल- आयुष आपके परिवार में कौन-कौन हैं   

जवाब- मेरा परिवार बहुत प्यारा और छोटा सा परिवार है जिसमें दादा-दादी, मम्मी-पापा और एक छोटा भाई है। दादाजी साधुराम कंसल जी उन्हें मेरा गाना बहुत अच्छा लगता है और इसलिए वो हमेशा मेरे साथ मेरे हर कार्यक्रम में होते हैं और मेरा हौंसला बढ़ाते हैं, मेरी छोटी-छोटी चीज़ों का वो बखूबी ध्यान रखते हैं जबकि दादी मां का भरपूर लाड़-दुलार मुझे मिलता है और अक्सर पूजा-पाठ के समय वो मुझे अपने साथ बैठाकर भजन गातीं और गवातीं हैं। मेरी मम्मी आरती कंसल गायन के साथ मेरी पढ़ाई का पूरा ध्यान रखतीं हैं। जबकि पापा प्रदीप कंसल जो कंसल शुगर स्टोर के नाम से किराना की दुकान करते हैं, वो भी मेरे गायन और वादन के साथ ही मेरी हर छोटी-छोटी ज़रूरतों का ध्यान रखते हैं। उन्हें जब भी समय मिलता है वो मेरे गाने और भजन अपने पास बैठाकर मुझसे सुनते हैं। मेरा छोटा भाई प्रियांश बहुत शरारती है और हम दोनों मिलकर खूब मस्ती करते हैं।

सवाल- संगीत की ओर रूझान कैसे हुआ।

जवाब- मेरे पापा मुझे बताते हैं कि जब मैं तीन साल का था तब एक बार वो मुझे रामलीला का मंचन दिखाने ले गये थे। उस दौरान रामलीला में हनुमान चालीसा का पाठ चल रहा था और मैं अपनी तोतली जुबान में उसे सुनते हुए वैसा ही गाने की कोशिश कर रहा था। जब हम घर आए तो जितनी चालीसा मैंने सुनी थी वो जस की तस आकर सबको सुना दी। ये देखकर सबको बड़ी हैरानी भी हुई और उसी दिन से मेरा पूरा परिवार मेरी इस प्रतिभा को निखारने में लग गया। मुझे साढ़े तीन साल की उम्र से ही 350 से ज्यादा भजन, राग, गज़ल, फिल्मी गीत, पूरी हनुमान चलीसा बखूबी रट गई और मेरा अभ्यास दिनों-दिन बढ़ता ही गया और मैंने इसी उम्र में अपनी पहली स्टेज परर्फामेंस दी। 

सवाल- एफ.एम चैनल पर कैसे बनाया रिकॉर्ड

जवाब- पांच साल की उम्र में शहर के ही लोकल एफएम चैनल पर ‘बच्चों की किल-कारी‘ शो में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मुझे मिला जहां मैंने पूरे दिन लगातार भजन, फिल्मी गाने और गज़ले गाकर एक रिकाॅर्ड कायम किया। संगीत की ओर बढ़ती दिलचस्पी के चलते परिवारवालों ने मेरी शुरूआती संगीत शिक्षा का शहर की मशहूर सिंगर नीता गुप्ता के यहां से शुरू करा दी और इसके बाद इलाहाबाद संगीत विश्वविद्यालय से गायन और वादन में मैंने विशारद किया।

 सवाल - सुना है अच्छा गाने के साथ-साथ आप वादन में भी कुशल हैं।

जवाब-  जी हां संगीत विश्वविद्यालय से मुझे इस कला में निपुणता हासिल हुई है जिसके चलते मैं तबला, ढोलक, सितार-गिटार, हारमोनियम, ड्रम और कैसियो बजा लेता हूं। कार्यक्रमों मैं खुद ही गाता और बजाता हूं। राग, ठुमरी, सुर और लय की समझ अब मुझमें पहले से ज्यादा है और रोज़ाना अभ्यास के ज़रिए मैं इनमें महारत हासिल करना चाहता हूं।

सवाल-  इतनी छोटी सी उम्र में इतनी ज्यादा प्रसिद्धि का वजह क्या है।

जवाब- स्कूली कार्यक्रमों में गाने से मेरा सफर शुरू हुआ जो आज भजन संध्या, जगराते और अन्य कार्यक्रमों तक आ पहुंचा है। बाबा खांटू श्याम की भजन संध्या से मझे विशेष निमन्त्रण मिलते हैं और इन्हीं के ज़रिए मुझे ये शोहरत मिल रही है।

सवाल- आगे के लिए क्या सोचा है।

जवाब- अभी तो मैं छोटा हूं और अपनी पढ़ाई पूरी करने पर मेरा फोकस है। लेकिन मैं संगीत पर भी पूरी पकड़ बनाये हुए हूं और आगे जाकर एक बड़ा गायक बनना जाता हूं। सभी नये-पुराने गायक मेरी प्रेरणा हैं लेकिन मैं भजन गायकों को खासतौर से फॉलो करता हूं। 

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