सिटी स्टारः वाराणसी की पूनम ने पेंटिंग में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

  • Pinki
  • Saturday | 20th January, 2018
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संक्षेप:

  • पुनम ने दी विकलांगता को मात
  • कैनवास पर 3 इंच का महिलाओं का बनाया फेस
  • मिला है वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का खिताब

वाराणसीः  हौसला है तो कुछ भी संभव है ऐसे ही हौसले भरी कहानी है काशी की बेटी पूनम राय की जिसने अपनी जिंदगी में मुश्किलों से लड़ा और सफलता की नई मुकाम हासिल की। बिन पैरो के ही इस बेटी ने जमीन से आसमान तक का सफर तय किया है। 

NYOOOZ से जानिए पूनम राय की पूरी दास्तां 
वाराणसी की बेटी पूनम राय जन्म से विकलांग नहीं थी। बल्कि उसके यह विगकलांगता एक एक्सीडेंट ने दिया, लेकिन पूनम ने इसे अपनी ताकत बनाई और अपने शौक को अपनी व्यवसाय में बदल दिया। बता दें कि शादी से पहले पूनम पेंटिंग का शौक रखती थी। लेकिन शादी हो जाने के बाद उसका ये शौक दिल में रह शौक बन कर रह गयी। पूनम ने अपने दिल में अपने इस शौक को ज़िंदा रखा और आज उनका यह शौक ही उसकी ताकत बनी और उसी ताकत से पूनम  अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है। बल्कि अपनी इसी शौक से ही पूनम ने वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम भी दर्ज कराया है। 

पूनम राय ने NYOOOZ से बातचीत में बताया की शादी के बाद उसके ससुराल वाले दहेज़ को लेकर उसको प्रताड़ित करते थे और उसी पताड़ना के दौरान दहेज लोभियों ने उसे छत से फेंक दिया। जिसके बाद 17 साल पूनम ने बिस्तर पर गुजारने के बाद अपने भाई के सहयोग से अपने सपनों को पंख लगाया है।

बनाया है वर्ल्ड रिकॉर्ड
काशी की दिव्यांग आर्टिस्ट पूनम राय अपनी नायाब कलाकृति को वर्ल्ड रिकार्ड ऑफ इंडिया के पुरस्कार से नवाज़ा गया है। उन्होंने 17 दिनों में 6 फुट 8 इंच चौड़े और 6 फुट लम्बे कैनवास पर 3 इंच के 648 चेहरे महिलाओं को समर्पित किये हैं। जिसमें महिलाओं के हर भाव के चेहरे हैं। पूनम राय के घर में रखे इस कैनवास पर बनी सभी कलाकृतियां अलग- अलग महिला के भाव को दर्शाती है।
पूनम ना ही खड़ी हो सकती हैं और ना ही आसानी से बैठ सकती हैं इसलिए पूनम ने इस 6 फुट चौड़े कैनवास को अपने बेड पर रखकर 17 दिनों में धीरे- धीरे पूरा किया। जिसमें उनके भाई ने उनकी सहायता की। पूनम ने बताया कि अगर उनका भाई मदद नहीं करते तो यह कार्य असंभव था। 

  

मुश्किल था 3 इंच का फेस बनाना
पूनम राय ने बताया कि इतने बड़े कैनवास पर 3 इंच का महिलाओं का फेस बनाना ब्रश से मेरे लिए बहुत मुश्किल था।  क्योंकि काफी साल बाद मैंंने ब्रश उठाया था।  मैं जो पेंटिंग ज़्यादातर करती हूं उसमे हम हाथ से या रुई से चित्रकारी सीधे रंगों के द्वारा कर लेते हैं। जिसमें ब्रश को भी बहुत करीने से नहीं चलाना होता। इस कलाकृति में ब्रश से महिलाओं के 648 भाव बनाने थे। उन्हें पेन्सिल से ड्रा करना पड़ा फिर उस पर ब्रश से कलाकृति बनाई और भाव उकेर सकी

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