रियलिटी शो की रियलिटी

नील मणि लाल

लखनऊ. हिंदी एंटरटेनमेंट टीवी चैनलों पर रियलिटी शो की भरमार है. शो के प्रोग्राम मुंबई में ही शूट होते हैं सो प्रतिभागियों को मुंबई जाना और कुछ दिन वहां रहना पड़ता है. चैनल ऐसे प्रोग्राम खुद नहीं बनाते बल्कि  प्रोग्राम बनाने का ठेका प्रोडक्शन कंपनी को देते हैं. बदले में कम्पनी ऑडिशन, शूटिंग वगैरह करके प्रोग्राम तैयार करते हैं और चैनल टीवी पर उसका प्रसारण कर देता है. लोग सोचते होंगे कि चैनल वाले मुंबई बुलाते हैं तो आवभगत करते होंगे. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है.

एक चैनल है ‘कलर्स’. इस पर इसी महीने शुरू हुआ है प्रोग्राम ‘राइजिंग स्टार्स.’ इस प्रोग्राम को बनाने का ठेका ‘औप्टीमिस्टिक्स’ नाम की कंपनी के पास है. इस कंपनी ने देश भर में ऑडिशन कराये और प्रतिभागियों को चुना. हालाँकि इस चुनाव का आधार क्या था यह भी पता नहीं है. प्रतिभागियों को बताया गया कि मुंबई आने-जाने का टिकट मिलेगा और वहां थ्री स्टार होटल में ठहराया जायेगा.

खैर कंपनी द्वारा तरह-तरह की फरमाईशों और चोंचलों के बाद लखनऊ से दस लोगों की टीम १२ फरवरी को ट्रेन द्वारा रवाना हुयी और २४ घंटे बाद रात पौने १२ बजे मुंबई पहुँची. स्टेशन से दो टैक्सी द्वारा रात १ बजे टीम एक होटल पहुंचाई जाती है. होटल जिसे ३ स्टार बताया गया था वह 0 स्टार निकला.

होटल में प्रोडक्शन कम्पनी ‘औप्टीमिस्टिक्स’ का एक युवक मनदीप, टीम से कहता है कि सब लोग अपना अपना सामान उठा कर कमरों में जायें. एक और युवती वहां पहुँचती है और अपना नाम धनुष्का बताती है. मनदीप ने कहा कि औरतें अलग कमरों में और पुरुष अलग कमरों में रहेंगे. और एक-एक कमरे में चार-चार लोगों को शेयर करना होगा. आप लोग अपना सामान लेकर उन कमरों में चले जायें.

एक कमरे में चार-चार लोग.

डबल बेड के बाद होटल के कमरे में बची जगह में जमीन पर गद्दे पड़े दिखाई देते हैं जहाँ सबको हफ्ता भर रहना होगा. इस बारे में टीम के एक सदस्य ने कड़ा विरोध किया कि शेयरिंग का सवाल नहीं है. उसे अपनी टीम के संग ही रहना है और एक कमरे में दो से ज्यादा लोग तो कतई नहीं रह सकते. इस पर कम्पनी के मनदीप और धनुष्का ने सपाट जवाब दिया कि सब प्रतिभागी ऐसे ही रहते हैं और ऐसे ही सबको रहना होगा. टीम मेम्बर ने बहुत नाराजगी जताई, बहुत बहस की लेकिन कोई असर नहीं. दोनों कर्मचारी २५-३० उम्र के और एटीट्यूड यह कि - ‘रहना हो तो रहिये नहीं तो घुसिए.’

होटल में अनजान व्यक्ति के संग कमरा शेयर करने, जमीन पर सोना , यह सब अकल्पनीय है लेकिन कलर्स चैनल के राइजिंग स्टार्स में भाग लेने आये लोगों के साथ यही बर्ताव किया गया. राइजिंग स्टार्स की प्रोडक्शन कम्पनी ‘औप्टीमिस्टिक्स’ के कर्मचारी मंदीप और धनुष्का कोई दबने या गलती के एहसास वाली मुद्रा में नहीं थे बल्कि ऐंठ और अपमानित करने वाले सुर में चढ़ कर बात करते रहे. इन लोगों ने सपाट कहा कि सबको अलग-अलग कमरे देंगे तो हमारा क्या बचेगा?

रात 1 बजे बिना खाए पिए पहुंचे ‘मेहमानों’ से दोनों कर्मचारियों ने दो टूक कहा कि इस वक़्त खाना नहीं मिलेगा. ‘आप लोगों को ट्रेन में ही खा कर आना चाहिये था.’ लखनऊ से १४०० किलोमीटर दूर पहुंचे ‘कलर्स टीवी’ के मेहमानों के लिए होटल के कमरे में पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं था. मांगने पर होटल वालों का जवाब था – अपनी बोतल में नल से पानी भर कर ले जाइए.

टीम के एक सदस्य ने सोहित उनियाल नमक शख्स को फोन मिलाया. यह व्यक्ति अपने को कम्पनी का टैलेंट डायरेक्टर बताता है. वही सोहित उनियाल जो लखनऊ फ़ोन कर मुलायमियत से बात करता था, उसके सुर भी बदल गए. चार-चार लोगों द्वारा शेयरिंग की बात पर बोला – ‘आप लोगों को तो ऐसे ही रहना होगा. यहाँ ऐसे ही होता है.’

मंदीप और धनुष्का ने कहा – सुबह ७ से ९.४५ तक हाल में नाश्ता मिलेगा और १०.३० बजे सब लोग स्टूडीयो ले जाए जायेंगे. किसी को कहीं और जाने की इजाजत नहीं है. स्टूडियो में ही लंच मिलेगा. किसी को कुछ भी अलग खाना-पीना हो तो अपना पैसा खर्च करना पड़ेगा. होटल में वाई-फाई है लेकिन प्रतिभागियों को इसका इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है. रात का खाना १० बजे तक ही मिलेगा. किसी ने कमरे में कुछ मंगाया तो उसका खुद भुगतान करना होगा.

लखनऊ से गयी टीम में आठ महिलाएं और दो पुरुष थे. दो कमरों में चार-चार महिलाओं को और दोनों पुरूषों को एक अन्य व्यक्ति के साथ एक कमरे में रुकने का आदेश दिया गया. इस ‘थ्री स्टार’ होटल के कमरे में चार-चार लोग लेकिन बाथरूम की सामान्य सामग्री के नाम पर एक तौलिया, दो साबुन और दो शैम्पू, बस.

बता दें कि इस होटल – सवाय इन – के साथ प्रोडक्शन कम्पनी वालों का करार है. अलग अलग रियल्टी शो के प्रतिभागियों को यहीं ठहराया जाता है. वैसे इस होटल में सामान्य यात्री भी रुकते हैं. जैसा आजकल चलन है, होटल में सुबह का नाश्ता सभी को दिया जाता है. कहने को नाश्ता कॉम्प्लीमेंट्री बताया जाता है लेकिन असलियत में नाश्ते का दाम कमरे के किराये में शामिल होता है. तो वही कॉम्प्लीमेंट्री नाश्ता प्रतिभागियों को भी मिला.

मुंबई के साकी नाका इलाके से फिल्म सिटी करीब १५ किलोमीटर का रास्ता है. राइजिंग स्टार्स के प्रतिभागी सुबह १० बजे से दोपहर 1 बजे तक इन्तजार करते रहे तब जा कर स्टूडियो पहुँच पाए. पता चला कि ‘औप्टीमिस्टिक्स’ कम्पनी ने तो तीन ही टैक्सी बुक कर रखी है. एक टैक्सी छोड़ कर आती तब दूसरी ट्रिप जाती.

अपमान और बाद इन्तजामी से आजिज़ आ कर लखनऊ से गयी टीम के एक साथी ने ‘औप्टीमिस्टिक्स’ की कर्मचारी धनुष्का से तुरंत लखनऊ वापसी का टिकट बुक करने को कहा. स्टूडियो पहुँचने पर बताया गया कि टिकट बुक हो गया है और आप वापस होटल चले जायें.

‘औप्टीमिस्टिक्स’ के किसी व्यक्ति ने न तो कोई अफ़सोस जाहिर किया, न किसी तरह की शर्मिंदगी जाहिर की, न गुस्सा शांत करने की कोशिश की. कोई व्यक्ति १४०० किलोमीटर की २४ घंटे की यात्रा करके आया है और इन हालात में तुरंत वापस जा रहा है उससे क्षमा याचना तो बहुत दूर की बात है. ‘औप्टीमिस्टिक्स’ के कर्मचारी धनुष्का ने यहाँ तक कह दिया कि आपको अलग कमरा चाहिए तो कोई दूसरा होटल तलाश लीजिये.

वापस होटल पहुँचने पर ‘औप्टीमिस्टिक्स’ के मंदीप ने कहा कि कोई गाड़ी नहीं मिल सकती सो टैक्सी से रेलवे स्टेशन जाना होगा. अंततः कलर्स चैनल के राइजिंग स्टार्स के लिए लखनऊ से मुंबई यात्रा का अंत ओला टैक्सी का किराया २८९ रुपये अपनी जेब से भरने के साथ हो गया. इस प्रोग्राम के एक डायरेक्टर सुजोय के अनुसार ‘राइजिंग स्टार्स’ प्रोग्राम का बजट 150 करोड़ रुपये का है. हो सकता है, लेकिन प्रतिभागियों पर तो एक करोड़ खर्च भी खर्चा नहीं किया होगा.  

इस प्रकरण में आपको यह बताना सबसे जरूरी है कि अपमान और बदइन्तजामी के खिलाफ सिर्फ एक व्यक्ति ने आवाज उठाई. अफ़सोस की बात यह है कि लखनऊ से गए दल के किसी भी अन्य इंसान न तो एक शब्द बोला न कोई विरोध किया. एक व्यक्ति ने जलालत, परेशानी और मानसिक तनाव झेला लेकिन टीम के बाकी ९ लोगों में से कोई साथ नहीं खड़ा हुआ.  एक भी व्यक्ति ने न आक्रोश जाहिर किया, न अफ़सोस जाहिर किया, न रोकने की कोशिश की. क्या ऐसे लोगों को आप कलाकार या सामान्य इंसान कहेंगे?

असल में टीवी पर दिखने, प्रोग्राम में भाग लेने का लालच इतना बड़ा है कि लोग सब तरह का शोषण, अन्याय और अपमान झेलते हैं वह भी ख़ुशी-ख़ुशी.

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