क्यों ज़रूरी है मन की शक्ति ?

आज की इस दौड़ती भागती ज़िंदगी और हमारी लाइफ स्टाइल दोनों ने हमे तन से और मन से कमज़ोर कर दिया है। कभी सोचा है कि ये हम ही तो थे जो बचपन में कितना भी धूल मिटटी में खेल आया करते थे या गर्मियों की छुट्टियों में भरी दोपहरी साइकिल चलना किसको याद नहीं होगा लेकिन आज ज़रा सी हवा क्या बदली हम सब शर्दी ज़ुखाम बुखार जैसी बिमारियों के शिकार हो जाते है। यही हाल हमारे मन मष्तिस्क का भी हो चला है रोज़ मर्रा की उलझने परेशानी वर्कलोड, वर्कप्रेशर सब मिलकर हमारे दिमाग और मन को अंदर से कमज़ोर करते चले जा रहे है और हमारी आजकी जनरेशन इस में धसती और फसती चली जा रही है.

 

मन की शक्ति:

मस्तिष्क जिस किसी चीज को स्वीकार करता है और विश्वास करता है, वह उसे प्राप्त भी कर सकता है क्योंकि आपका मस्तिष्क जिन चीजों को सोचता है, देखता है, विश्वास करता है और महसूस करता है वह उन्हें अवचेतन मन में भेज देता है। फिर आपका अवचेतन मन ब्रह्मांड की शक्तियों के साथ कार्य करने के पश्चात एक ऐसी वास्तविकता की रचना करता है, जो कि उस संदेश पर आधारित रहती है, जिसका उद्गम मस्तिष्क में हुआ था, परंतु सिर्फ इस प्रकार से सोचना और यह आशा करना कि यह सब अपने आप हो जाएगा, पर्याप्त नहीं है।

यदि आप ठीक प्रकार से अपने कार्य के प्रति निष्ठा हैं तो आप उसे अवश्य पूरा कर लेंगे,लेकिन आवश्यकता है यह जानने की, कि आप अपने मस्तिष्क की शक्तियों का प्रयोग कैसे करेंगे।

MindPower

मस्तिष्क की शक्तियाँ:

1 मस्तिष्क में कल्पना शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा आशाओं और उद्देश्यों को साकार करने के तरीके सुझाएँ जाते हैं।

2 मस्तिष्क में इच्छा शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा योजना पर लंबे समय तक काम किया जा सके।

3 इसमें तर्कशक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा तथ्यों और सिद्दांतों को अवधारणाओं, विचारों और योजनाओं में बदला जा सकता हैं।

4 इसके पास शारीरिक सेहत को अच्छा बनायें रखने की शक्ति भी हैं और स्पष्ठ रूप से यह सभी बीमारियों के उपचार का एकमात्र स्त्रोत भी हैं बाकी सभी स्त्रोत तो सिर्फ योगदान देते हैं यह तो शरीर को संतुलित रखने के लिए मरम्मत-तंत्र भी चलाता हैं, जो स्वचालित हैं।

5 मस्तिष्क भौतिक जगत के हर विचार, हर औजार, हर मशीन और हर यन्त्र के अविष्कार का एकमात्र जनक हैं

आखिर में एक कहानी आप सब के लिए

एक बार किसी व्यक्ति ने नेपोलियन से पूछा, `सर, आपकी सफलता का राज क्या है?क्या इसके पीछ कोई दैवीय शक्ति है?` इस पर नेपोलियन मुस्कराया और सहजभाव से बोला - `मन की शक्ति का ऐसा प्रभाव है कि यदि हम पूरी ईमानदारी और समर्पण-भाव से अपने लक्ष्य की प्राप्ति का संकल्प लें और समर्पण-भाव से अपने लक्ष्य की प्राप्ति का संकल्प लें और उसे पूरा करने में निरंतर प्रयत्नशील रहें तो उसमें सफलता अवश्य मिलेगी -ऐसा मेरा अनुभव है।` फिर कुछ क्षण बाद नेपोलियन ने कहा-`किन्तु लक्ष्य अच्छा होना चाहिए। यह सही है कि अच्छे लक्ष्य को पाने की प्रेरणा अवश्य दैविय शक्ति से मिलती है। यदि मन में शक्ति के प्रति विश्वास है और इसके साथ संकल्प दृढ़ है, तो सफलता अवश्य हासिल होती है, साथ ही उत्साह मनुष्य के जीवन की ज्योति है जो सफलता के मार्ग में मशाल का काम करती है।

सीधी-सी बात है कि हर विचार पहले मन में ही उत्पन्न होता है और मनुष्य अपने विचार के आधार पर ही अपना व्यवहार निश्चित करता है इसलिए आप के लिए सब से महत्वपूर्ण है मन की शक्तियों को जाने और उनका पूरी तरह से इस्तेमाल करें 

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