फेसबुक पोस्ट बतायेगा कि आप कर सकते हैं आत्महत्या

  • डिप्रेशन वाले व्यक्ति को पता भी नहीं होता कि वह बीमार है
  • लम्बे समय तक डिप्रेशन में रहना आत्महत्या के लिए प्रेरित कर सकता है
  • पढाई के दबाव के कारण भी लोग कर रहे आत्महत्या
  • परिवार को दें समय, बच्चों के साथ बितायें टाइम

आजकल लोगों में दौड़-भाग की ज़िन्दगी और आगे निकलने की होड़ मची हुई है। जब ये इच्छाएं पूरी नहीं होतीं तो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होने लगता है। कई बार इसी डिप्रेशन के चलते वह आत्महत्या की भी कोशिश करता है।

अगर हम इंटरनेट पर आत्महत्या करने के तरीकों की खोज करें तो हम पायेंगे कि इंटरनेट ऐसे तरीकों से भरा पड़ा है। यहाँ तमाम ऐसे तरीके बताये गये हैं कि कैसे बिना दर्द के आत्महत्या की जा सकती है। लेकिन जैसे ही आप गूगल पर सर्च करेंगे "वेज़ टू कमिट सुसाइड(ways to commit suicide)" तो सबसे ऊपर आपको 24x7 हेल्पलाइन नंबर और एक वेबसाइट दिखेगी।

फेसबुक ने भी सुसाइड से बचाव के कई तरीके अपनाये हैं जिससे डिप्रेशन के शिकार लोग अन्य लोगों से जुड़ सकते हैं और दूसरे लोग डिप्रेस्ड लोगों तक पहुँच सकते हैं।

आत्महत्या करने वाला व्यक्ति ऐसा अचानक करता है। ऐसा भी नहीं है कि संसाधनों के अभाव में ही लोग आत्महत्या करते हैं। यह भी देखा गया है कि कई बार आत्महत्या करने वाले लोगों के पास सबकुछ होता है लेकिन फिर भी उनके जीवन में निराशा होती है जिससे वे आत्महत्या करने के लिए प्रेरित होते हैं।

साइकोलॉजिस्ट डॉ अनिल सेठी का कहना है कि कई बार लगातार लम्बे समय तक नेगलेक्ट किया जाना भी इसका कारण बन सकता है। अवचेतन मन में व्यक्ति कहीं लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए भी आत्महत्या करने की कोशिश करता है।

कई बार बच्चों के बीच बार बार तुलना करने पर भी बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं। चूँकि हर बच्चे की अलग-अलग ज़रूरतें होती हैं, इसीलिए उनके बीच तुलना करने से बच्चों पर प्रेशर पड़ता है। आज के समय में माता-पिता पैसा कमाने में इतने व्यस्त हैं कि वे बच्चों को समय नहीं दे पाते और इसकी भरपाई वे पैसे देकर करना चाहते हैं। लेकिन अब समय आ गया है जब माँ-बाप को बच्चों को समय देना चाहिए।

इससे बचने के लिए किसी भी व्यक्ति के व्यवहार में जो परिवर्तन हो रहे हैं उनपर लगातार नज़र रखनी चाहिए। इसके लिए लोगों में उम्मीद जगाने की कोशिश करनी चाहिए, जिन लोगों में उम्मीद की किरण ज़िन्दा रहती है वे लोग कभी भी आत्महत्या नहीं करते। आजकल आत्महत्या करने के कुछ आम कारण हैं। जैसे-

पढाई के प्रेशर के कारण-

डॉ सेठी कहते हैं  कि मै आईआईटी दिल्ली के एक केमिकल इंजीनियरिंग के छात्र से मिला। उसका ग्रेड लगातार गिरता जा रहा था। उसके माता-पिता चिन्तित थे। उन्होंने मुझसे संपर्क किया लेकिन वह मुझसे मिलना नहीं चाहता था। लेकिन किसी तरह से मै उससे अपनी क्लीनिक में मिलने में सफल हुआ। दूसरी बार मैं उससे एक कैफे में मिला ताकि वह थोड़ा अच्छा महसूस करे। मैने उसका फेसबुक एकाउण्ट चेक किया तो मैने पाया कि वह जिस तरह की पोस्ट वह डाल रहा था उससे पता लगता था कि वह डिप्रेशन का शिकार था। वह पोस्ट करता था कि क्या मौत के बाद जिंदगी है, एक जलती हुई मोमबत्ती के साथ उसने पोस्ट किया था कि ये मोमबत्ती कब तक जलेगी? मुझे समझ आ गया कि यह लड़का आत्महत्या करने वाला है और थिरेपी के दौरान उसने इस बात को स्वीकार भी किया। बाद में उसे उस कॉलेज से निकालकर एक प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन दिलाया गया और आज वह अमेरिका में एक अच्छी कंपनी में नौकरी कर रहा है।

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