कैसे करें आंखों की देखभाल ?

आंखें हैं तो सब कुछ है, क्योंकि बिना आंखों के हम इस ख़ूबसूरत जहां की कल्पना तक नहीं कर सकते, दुनिया के रंगों को नहीं देख सकते इसलिए आंखों का ख़्याल रखना बेहद जरूरी है। अगर आप ये नुस्खें अपनाएंगे तो आपकी आंखें न केवल ज़िंदग़ी भर आपका साथ निभाएंगी बल्कि आपकी आंखों की ख़ूबसूरती और रोशनी हमेशा बरकरार रहेंगी।
आइए जानते हैं शिशु अवस्था से बुढ़ापे तक कैसे करें अपनी आंखों की देखभालः
1. शिशु अवस्था में:-
शिशु अवस्था में बच्चे की मां ज्यादातर समय बच्चे के साथ होती है। इसलिए मां को ये ख़्याल रखना होता है कि कहीं बच्चे की आंख से लगातार पानी तो नहीं निकल रहा है, यह आंखों की ख़राबी का एक लक्षण होता है। अगर ऐसा हो रहा है तो आप अपने बच्चे को जितना जल्दी हो सके नेत्र चिकित्सक के पास ले जाए। ऐसे में बच्चे की आंखों में काजल या सूरमा न लगाएं।
2. बचपन और किशोरावस्था में:-
यह हमारे उम्र का वो दौर होता है जिसमें आंखों के प्रति ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि इस उम्र में हम ज़्यादा वक्त टीवी, मोबाइल और पढ़ाई पर ध्यान देते हैं, जो कि हमारे आंखों की रोशनी कम करने के लिए काफी हैं। यह उम्र ऐसी होती है जिसमें हमें कलर ब्लाइंडनेस का भी पता चलता है हालांकि ये अनुवांशिक है। ऐसे में आंखों को सुरक्षित रखने के लिए हमें भोजन में हरी सब्जियां और पोषक तत्व वाले आहार का सेवन करना चाहिए। अगर आप पढ़ाई कर रहे हैं तो आंखों को समय-समय पर आराम देते रहें और टीवी देखते समय कमरें की लाइट जलाए रखें।
3. युवा अवस्था में:-
इस अवस्था में ज़्यादातर लोग अपने-अपने काम में लग जाते हैं, जिनमें कुछ काम ऐसे होते हैं जो कम्प्यूटर से जुड़े होते हैं। आगर आप भी कम्प्यूटर पर काम करते हैं तो हर घंटे अपनी आंखों को 5 मिनट का आराम दें और आंखों की कसरत करें। अगर आप बाहर यानी आउटडोर काम करते हैं तो आप अपनी आंखों को धूल-मिट्टी और धुंएं से बचाएं।
4. वृधावस्था में:-
यह आपकी आंखों के लिए जीवन का सबसे नाजुक समय होता है। इस दौरान आपकी आंखों को सबसे ज़्यादा मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और रेटीनोपैथी का ख़तरा होता है। अगर ख़तरा ज़्यादा है तो हमें अपनी आंखों का ख़्याल भी ज़्यादा रखना चाहिए। इस दौरान हमें समय-समय पर नेत्र चिकित्सक से मिलकर सलाह लेनी चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर आंखों का उचित इलाज़ करवाना चाहिए।

 

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