वर्ल्ड हेरीटेज इमारत (World Heritage Site) ताजमहल (Taj Mahal) को देखने के लिए आने वाले देश-विदेश के लाखों पर्यटकों को अब मायूसी का सामना करना पड़ सकता है

नई दिल्ली. लोहे की रॉड से ढका ताजमहल का गुंबद पर्यटकों की तस्वीरों को खराब कर सकता है. खास बात ये है कि ऐसा कोई दो-चार दिन तक नहीं बल्कि पूरे 7 महीने तक चलेगा. मडपैक ट्रीटमेंट के चलते गुंबद को ढका जाएगा. आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की ओर से ताजमहल में लगे सफेद पत्थरों को चमकाने के लिए मडपैक ट्रीटमेंट किया जाता है. 75 साल बाद अब हो रही है गुम्बद की सफाई ताजमहल से सटे ताजगंज में रहने वाले डॉ. सैय्यद इख्तियार जाफरी बताते हैं, 'हमने अपने बुर्जुगों से सुना था कि पहले भी दूसरे तरीकों से ताजमहल की सफाई होती रही है. अगर ताजमहल के गुंबद की बात करें तो आज से करीब 75 साल पहले गुंबद की पाड़बंदी (लोहे का जाल) लगाकर गुंबद की सफाई और रिपेयरिंग की गई थी. उस वक्त भी कई दिन तक गुंबद को ढका गया था. आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की केमिकल ब्रांच ताजमहल पर मडपैक ट्रीटमेंट करती है.इस तरह से किया जाता है मडपैक ट्रीटमेंट आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की केमिकल ब्रांच ताजमहल पर मडपैक ट्रीटमेंट करती है. ट्रीटमेंट के दौरान मुल्तानी मिट्टी का घोल पत्थरों पर लगा दिया जाता है. उसके बाद लेप लगाकर उसे कुछ दिन के लिए छोड़ दिया जाता है. फिर कुछ दूसरी चीजों से उस लेप को धो दिया जाता है. लेप को लगाना और फिर उसे धोने में कुछ दिन का वक्त लगता है, इसलिए पूरी गुंबद के पीलेपन को दूर करने में 7 महीने का वक्त लग सकता है. ताज के सभी हिस्से में ये काम पूरा हो चुका है. बस गुंबद का काम बाकी रह गया है. मडपैक के दौरान नहीं रोके जाएंगे पर्यटक मडपैक का काम होने के दौरान पर्यटकों का आना-जाना रोजाना की तरह से जारी रहेगा. window.ADNW = window.ADNW || {}; window.ADNW.v60 = window.ADNW.v60 || {}; window.ADNW.v60.slots = window.ADNW.v60.slots || []; window.ADNW.v60.slots.push({ rootElement: document.getElementNYOOOZ HINDIId("firstArticle"), placementid: '891619170980514_1503976046411487', format: 'recirculation', testmode: false, onAdLoaded: function(element) { // called on each single ad that is loaded }, onAdError: function(errorCode, errorMessage) { // called when no ads could be loaded }, onUnitLoaded: function(rootElement) { // called when whole unit is loaded console.log('Audience Network [891619170980514_1503976046411487] unit loaded'); rootElement.setAttribute("style", "border-top: 1px solid #908888;border-bottom: 1px solid #908888;padding: 10px 0;margin: 10px 0 20px;display:block"); }, onUnitError: function(errorCode, errorMessage) { // called when whole unit could not be loaded console.log('Audience Network [891619170980514_1503976046411487] error (' + errorCode + ') ' + errorMessage); }, recirculation: { desktop: { ad_load: 'auto', infinite_scroll: 'auto', layout: 'h_list', rows: 'one', columns: 'two' }, mobile: { ad_load: 'auto', infinite_scroll: 'auto', layout: 'grid', }, } }); एएसआई से जुड़े जानकार बताते हैं कि मडपैक का काम होने के दौरान पर्यटकों का आना-जाना रोजाना की तरह से जारी रहेगा. पर्यटकों को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं अएगी. वहीं 7 महीने तक चलने वाले मडपैक ट्रीटमेंट पर करीब 30 लाख रुपये का खर्च आ सकता है. इसके लिए एक प्रस्ताव बनाकर एएसआई मुख्यालय को भेज दिया गया है. फरवरी के आखिर में पाड़ बांधने का काम शुरु हो जाएगा. ट्रीटमेंट का ये काम सितम्बर 2020 तक चलेगा. हालांकि पहले पाड़ के रूप में एल्युमिनियम के पाइप इस्तेमाल करने की थी. लेकिन एल्युमिनियम के पाइप कमजोर होने के चलते लोहे के पाइप इस्तेमाल करने का ही निर्णय लिया गया. ये भी पढ़ें:  28 साल संघर्ष में कटी जिंदगी, राहुल गांधी ने दिया टिकट और बन गईं MLA।

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