आगरा यूनिवर्सिटी पर आरोप, मेडल सूची में फर्जीवाड़ा

संक्षेप:

  • आगरा विश्वविद्यालय प्रशासन का कारनामा
  • मेडल सूची में फर्जीवाड़े का आरोप
  • राष्ट्रपति को लिखा गया शिकायत पत्र

आगरा। डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय अपने कारनामों की वजह से हमेशा सुर्ख़ियों में बना रहता है। कभी अपने फर्जीवाड़े की वजह से तो कभी विश्वविद्यालय में छात्रों की वजह से और इस बार भी विश्वविद्यालय पर फर्जीवाड़े का एक और आरोप लग रहा है क्योंकि डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई मेडल सूची में भी फर्जीवाड़े के आरोप लग रहे हैं।

वास्तविक छात्रों को मेडल ना देकर अन्य को दिए जा रहे हैं। हक से वंचित किए जा रहे छात्र-छात्राएं कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही राष्ट्रपति को पत्र लिख रहे हैं कि जिस विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में वे आ रहे हैं, वहां उनके साथ किस तरह से छल किया जा रहा है। आईएसएस में एमए समाजशास्त्र कोर्स चलता है। इस कोर्स में टॉप करने के लिए शमशीर अहमद को मेडल दिया जा रहा है। इनके 1142 नंबर हैं। एक अन्य छात्रा इंदु शैलानी के 1151 नंबर हैं। छात्रा ने जब यह देखा कि उससे कम नंबर वाले को मेडल मिल रहा है तो वह परेशान हो उठी।

छात्रा ने बताया कि वह परीक्षा नियंत्रक केएन सिंह के पास शिकायत करने गई। केएन सिंह भी मार्क्सशीट्स में उसके नंबर अधिक देख चौंक गए। उन्होंने मेडल सूची बनाने वाले प्रो. मनोज श्रीवास्तव के लिए लिख दिया। छात्रा ने बताया कि उसने प्रो. श्रीवास्तव को भी व्हाटसएप पर मार्क्सशीट्स भेज दी, लेकिन इसके बाद भी अभी तक संशोधन नहीं किया जा रहा है।

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छात्रा के अभिभावक भी इस बात को लेकर परेशान हैं। वहीं छात्रा का रो-रोकर बुरा हाल है। उससे उसका हक छीना जा रहा है, वह इस बात को लेकर तनाव में है। विवि के चक्कर लगाते-लगाते परेशान हो गई है। छात्रा की मदद को छात्र नेता राहुल पाराशर, भूरी सिंह द्वारा आंदोलन की रुपरेखा बनाई जा रही है। राहुल पाराशर का कहना है कि राष्ट्रपति के नाम पोस्टर कार्ड अभियान चलाया जाएगा।

उनसे दीक्षांत समारोह में नहीं आने का अनुरोध किया जाएगा। बताया जाएगा कि विवि उनके हाथ से फर्जी मेडल दिलवाने जा रहा है। इस मामले में परीक्षा नियंत्रक केएन सिंह से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उनका फोन नहीं उठा। मेडल सूची में हकदार छात्रों के नाम नहीं होने को लेकर विवि प्रशासन के ऊपर सवाल खड़े हो रहे हैं, लेकिन विवि प्रशासन पर कोई असर नहीं है। आखिर वह क्यों छात्रा को मेडल नहीं दिलाना चाहता है यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है।

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