अग्नि शमन सुरक्षा यंत्र से रेल हादसों पर लग सकती है लगाम

संक्षेप:

  • आगरा से ग्वालियर के बीच इस तकनीक के उपयोग के लिए टेंडर प्रक्रिया
  • ग्वालियर से बीना तक इसे लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है
  • TPDWS तकनीकी एक तरह से सेंसर का काम करेगी

लगातार हो रहे रेल हादसों ने सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण ट्रेन अग्नि शमन सुरक्षा यंत्र की महत्वता आखिर रेलवे को समझा दी है और शायद यही कारण है कि लंबे अरसे से ठंडे बस्ते में पड़ी इस योजना को शीघ्र पूरा करने के लिए रेलवे ने अब कमर कस ली है। बता दें, आगरा से ग्वालियर के बीच इस तकनीक के उपयोग के लिए टेंडर प्रक्रिया  लगभग पूरी हो चुकी है। हालांकि ग्वालियर से बीना तक इसे लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है।

आपको बता दें, ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने में कारगर बताए जा रहे ट्रेन प्रोटेक्शन वर्निंग सिस्टम स्थापित करने की योजना दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर बनाई गई थी और पहले चरण में इसे दिल्ली से मथुरा और मथुरा से आगरा तक स्थापित किया गया। वहीं अगले चरण में यह आगरा से ग्वालियर तक होना था लेकिन रेल बजट में इसके लिए कोई फंड नहीं मिला। जिसके चलते यह कार्य ठंडे बस्ते में चला गया।

इस उपकरण के चालक केबिन में लगने से TPDWS तकनीकी एक तरह से सेंसर का काम करेगी। बता दें, चालक द्वारा तय गति से अधिक गति पर चलाने पर यह चेतावनी देने के साथ ब्रेक लगाने का काम भी करेगा। ऐसे में अधिक गति होने पर होने वाले हादसों पर भी काफी हद तक लगाम लगाया जा सकेगा

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वहीं आगरा ग्वालियर रेल मार्ग पर यह सिस्टम स्थापित करने के लिए टेंडर हो चुका है। जल्द ही कार्य शुरू किया जाएगा। ग्वालियर झांसी रेल मार्ग पर इस सिस्टम को स्थपित करने के लिए जल्द ही टेंडर निकाले जाएंगे।

हालांकि रेलवे ने इस उपकरण का प्रयोग दिल्ली से मथुरा व मथुरा से आगरा तक किया है। जिसमें यह सफल रहा है। इस तकनीकी से ट्रेन हादसों को रोकने में काफी मदद मिलेगी।

रेल मार्ग पर ट्रेनों के लाल सिग्नल होने के बाद भी चालक द्वारा इनकी अवहेलना करने पर भी टीपीडब्ल्यूएस डिवाइस काम करेगा। लाल सिग्नल पार करने की स्थिति में पटरियों पर लगे डिवाइस के जरिए ट्रेन के ब्रेक लगने शुरू हो जाएंगे ऐसे में स्टेशन पर खड़ी रहने वाली ट्रेन से भी भिड़ने की गुंजाइश नहीं होगी।

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