सावधान ! वाराणसी की गंगा में डुबकी लगाना नहीं है सेफ

संक्षेप:

  • गंगा नदी में सीवेज के जरिए डाले जाने वाला मल मूत्र इसे काफी नुकसान पहुंचा रहा
  • फीकल कोलिफोर्म बैक्टीरिया भयावह स्तर पर पहुंच चुका है
  • एफसी बैक्टीरिया जिसमे ई कोली नाम का बैक्टीरिया होता है

धर्म की नगरी वाराणसी को सबसे पवित्र को और धार्मिक स्थल माना जाता है। वाराणसी में बहती गंगा से देश के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।  इसे आस्था का प्रतीक मानते हुए लोग यहां डुबकी लगाते हैं। लेकिन लोग शायद एक बात नहीं जानते की गंगा नदी में सीवेज के जरिए डाले जाने वाला मल मूत्र इसे काफी नुकसान पहुंचा रहा है। दरअसल फीकल कोलिफोर्म बैक्टीरिया भयावह स्तर पर पहुंच चुका है, जोकि नदी में मल की वजह से बनता है।

आपको बताते चलें की गंगा नदी में मल को एक निश्चित सीमा तक ही डालने की इजाजत है, लेकिन यह अपनी निश्चित सीमा से काफी ज्यादा पहुंच चुका है।वहीं एक आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक 2017 में यह मात्रा तय सीमा से कहीं अधिक पहुंच चुकी है।

एफसी बैक्टीरिया जिसमे ई कोली नाम का बैक्टीरिया होता है, यह सीवर से आता है। इसकी निर्धारित सीमा प्रति 100 मिली लीटर एफसी 500 है जोकि बढ़कर 2500 तक पहुंच चुकी है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े के अनुसार उत्तर प्रदेश के 16 स्टेशन पर 50 फीसदी से अधिक जगहों पर तय सीमा से अधिक एफसी पाया गया है।

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अगर बात की जाए सबसे अधिक प्रदूषण वाली जगहों में कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी का नाम शामिल है। वाराणसी के मालवीय ब्रिज में एफसी लेवल 13-19 गुना अधिक है।

 

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