कुछ इस तरह था भय्यूजी महाराज का राजनीतिक रसूख

संक्षेप:

  • जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे भय्यू महाराज
  • महाराष्ट्र के संतों की परंपरा को वे नए तरीके से आगे बढ़ा रहे थे
  • कमिंग होम टु सियाराम के लिए की थी मॉडलिंग

आध्यात्मिक गुरू संत भय्यू जी महाराज ने मंगलवार को गोली मार कर आत्महत्या कर ली। अभी कुछ समय पहले ही उन्हें मध्यप्रदेश सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा ऑफर किया था, हालांकि उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया था। भय्यू जी महाराज हमेशा ही अपने स्टाइल के माने जाते थे, इसके अलावा उन्हें कई बार राजनीतिक मौकों पर भी देखा गया था।

मोदी के शपथ समारोह में VIP मेहमान

नरेंद्र मोदी जब 26 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे तो उनके 4,000 वीआइपी मेहमानों में 46 साल के उदय सिंह देशमुख (भय्यूजी महाराज) भी तशरीफ लाए। आम तौर पर बाबा लोग किसी मठ-मंदिर या श्रृद्धालु के घर टिकते हैं, लेकिन भय्यूजी दक्षिण दिल्ली के एंबेसडर होटल में ठहरे और कुछ चुनिंदा लोगों से मुलाकात के बाद अगले दिन इंदौर लौट गए।

ये भी पढ़े : राम दरबार: 350 मुस्लिमों की आंखों में गरिमयी आंसू और जुबां पर श्री राम का नाम


इस बार दिल्ली ने इस शख्स पर बहुत गौर नहीं किया, लेकिन जब पिछली बार 2011 में वे रामलीला मैदान में अन्ना हजारे का अनशन तुड़वाने आए थे तो सबकी नजर उन पर थी।

अन्ना को मनाने की कोशिश की थी

यही नहीं, उस समय जेडी (यू) अध्यक्ष शरद यादव ने लोकसभा में जब अन्ना आंदोलन पर अपनी भड़ास निकाली तो भय्यूजी को भी खूब लपेटा था। उस समय लोगों ने पहली बार एक गोरे-चिट्टे, ऊंचे-पूरे हीरो की तरह दिखने वाले शख्स को एक साधु के रूप में देखा था।

यह भारतीय आध्यात्मिक जगत का बिल्कुल नया कलेवर था। तलवारबाजी और घुड़सवारी में निपुण मराठा ने तब की यूपीए सरकार के एक मंत्री के बुलावे पर अन्ना को मनाने की कोशिश की थी।

मोदी का लिया था पक्ष

देश के बदले हुए राजनैतिक माहौल में इस तरह की परियोजनाएं धर्म के साथ ही राजनैतिक रिश्तों को भी नए सिरे से परिभाषित कर सकती हैं। यह बात भी ध्यान देने की है कि 2011 में मोदी जब अहमदाबाद में सद्भावना उपवास पर बैठे थे।

यह उपवास उस समय विवाद में आ गया था जब मोदी ने मुस्लिम टोपी पहनने से मना कर दिया था। उस वक्त दूसरे संतों के साथ भय्यूजी भी वहां मौजूद थे। और वे उन लोगों में से थे जिन्होंने गुजरात के विकास का हवाला देते हुए मोदी का पक्ष लिया था।

बड़े नेताओं से थी अच्छी पहचान

शायद इसीलिए प्रतिभा पाटील, नरेंद्र मोदी, नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी, शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह, उद्धव ठाकरे, पृथ्वीराज चौहान जैसे बहुत से नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें आपको देखने को मिल जाएंगी। पहले यही लगता था कि कांग्रेस के नेता उनके ज्यादा करीब हैं, लेकिन अगर उनसे रिश्ता रखने वाले बीजेपी नेताओं की पड़ताल करें तो भी वैसी ही बात नजर आती है।

उद्धव ठाकरे को बहुत अच्छा नेता मानने वाले भय्यूजी नरेंद्र मोदी की इस बात के कायल हैं कि मोदी अच्छे प्रस्तावों को बड़ी तेजी से पहचान लेते हैं और उन पर काम करते हैं।

 

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

अन्य आगरा की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles