डेंगू के डेन-2 स्ट्रेन से हृदय में पानी, धड़कन भी तेज, एसएन के मेडिसिन विभाग में सात मरीजों में मिली परेशानी

संक्षेप:

  • एसएन के मेडिसिन विभाग के जाँच मिली में जानकारी।
  • पेट, फेफड़ों के बाद मरीज के हृदय में भी मिला पानी।
  • मांसपेशियों में सूजन से रक्त का प्रभाव हो रहा प्रभावित।

आगरा- डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन हृदय तक को प्रभावित कर रहा है। पेट, फेफड़ों के बाद मरीज के हृदय में भी पानी मिल रहा है। इससे मरीज सांस नहीं ले पा रहा और धड़कन भी तेज हो गई है। एसएन के मेडिसन विभाग में फिरोजबाद के सात मरीजों में यह परेशानी मिली है। चिकित्सक इनकी ईसीजी और जरूरत पर ईको जांच भी करा रहे हैं। 

एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डॉ. अजित चाहर ने बताया कि डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन खतरनाक है, जो मरीजों की किडनी, फेफड़े, लिवर के साथ हृदय में भी दिक्कतें दे रहा है। हृदय के आसपास की झिल्लियों में फ्लूड (पानी) मिल रहा है। इससे मरीज को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही। इनकी धड़कन 120 से 150 तक मिल रही है। सामान्य में 60 से 100 तक रहती है। हृदय की जांच के साथ मर्ज को ठीक करने के लिए पांच से सात दिन तक दवाएं भी दी जा रही हैं। 

मांसपेशियों में सूजन से रक्त का प्रभाव हो रहा प्रभावित: डॉ. नीरज 
एसएन के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज यादव ने बताया कि डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन से बच्चों के हृदय की मांसपेशियों में सूजन भी मिल रही है। इससे रक्त संचार प्रभावित होने लगता है और हृदय की कार्य करने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है। इसे मायोकार्डिटिस बोला जाता है। खासतौर से फिरोजाबाद के बच्चों में यह परेशानी मिल रही है। लेकिन समय पर उपचार मिलने पर यह मर्ज ठीक हो रहा है। 

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डेन-2 पूरे शरीर को करता प्रभावित: डॉ. अंकुर 

माइक्रो बायलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर गोयल ने बताया कि डेंगू के डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4 सीरोटाइप हैं। इसमें डेन-2 चारो सीरोटाइप में सबसे खतरनाक है। मरीज के दिमाग, लिवर, किडनी, बोनमेरो, फेफड़े और हृदय को भी प्रभावित करता है। 

ये बरतें सावधानी:
- बच्चों को डेंगू होने पर पानी की मात्रा ओवर न हो जाए।
- व्यस्क लोग मधुमेह-रक्तचाप नियंत्रित रखें।
- हृदय रोगी दवाएं बंद न करें, जांच कराते रहें।
- बच्चों की धड़कन रेट 120 से 150 तक 

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