अटल बिहारी वाजपेयी का निधन, राहुल गांधी ने कहा- हमेशा याद रहेंगे
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन
- 93 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में निधन
- पीएम मोदी ने ट्वीट कर जताया शोक
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है। 93 साल की उम्र में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उन्होंने अंतिम सांसें लीं। वह बीते 11 जून से एम्स में भर्ती थे। वाजपेयी ने गुरुवार शाम 5:05 बजे अंतिम सांस ली। बुधवार को उनकी हालत गंभीर हो गई और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था। वाजपेयी को गुर्दा (किडनी) की नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण आदि के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। मधुमेह पीड़ित 93 वर्षीय भाजपा नेता का एक ही गुर्दा काम करता था।
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— Narendra Modi (@narendramodi) August 16, 2018
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 16, 2018
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Today India lost a great son. Former PM, Atal Bihari Vajpayee ji, was loved and respected by millions. My condolences to his family & all his admirers. We will miss him. #AtalBihariVajpayee
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 16, 2018
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वाजपेयी की हालत बिगड़ने पर बुधवार की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें देखने के लिए एम्स पहुंचे थे। साथ ही उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी गुरुवार को एम्स पहुंचे। उनके अलावा केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, जितेंद्र सिंह, अश्विनी चौबे, स्मृति ईरानी, शाहनवाज हुसैन, हर्षवर्धन सहित कई बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी के स्वास्थ्य का हाल जानने के लिए एम्स गए थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया है। वे पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे। भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही। वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वजपेयी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे। वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था। सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया।
वाजपेयी देश के उन चंद प्रधानमंत्रियों में से एक थे जिन्हें हमेशा उनके बेबाक फैसलों के लिए जाना जाता था। चाहे बात पाकिस्तान से दोस्ती के लिए बस से लाहौर जाने की हो या फिर कारगिल में लड़ाई के फैसले की। वह हमेशा से ही अपने फैसलों पर अडिग रहने वाले नेता थे। यही वजह थी कि वह देश में सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी रहे।
आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी कवि होने के साथ-साथ स्कूल मास्टर भी थे। वाजपेयी जी ने स्कूल तक की शिक्षा ग्वालियर में ही ली थी। इसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में की। इसके बाद उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र से एमए किया। इस दौरान उन्होंने संघ के कई ट्रेनिंग कैंपों में हिस्सा भी लिया। राजनीति में उनका प्रवेश 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने के साथ हुआ। इस आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें और उनके बड़े भाई प्रेम को 23 दिनों तक जेल में रहना पड़ा। आजादी के बाद वे जनसंघ के नेता बने।
2015 में मिला भारत रत्न
अटल बिहारी वाजपेयी को वर्ष 2015 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न ने नवाजा। इस सम्मान से पहले भी वाजपेयी जी को पदम विभूषण से लेकर कई अन्य सम्मान प्राप्त हुए।
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे। भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही। वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वाजपेयी लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे। वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था। सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया।
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