NYOOOZ Special : हर घंटे लगभग 900 लोग डाउनलोड कर रहे हैं ये एप, जानें क्या है खास

संक्षेप:

  • सऊदी अरब के चर्चित सराहा एप को आगरा के स्टार्ट एप ने बड़ी चुनौती पेश की है
  • ऐसा एप बनाया है, जिसे हर घंटे लगभग 900 लोग डाउनलोड कर रहे हैं
  • इस एप में सराहा के विपरीत सोशल मीडिया पर कमेंट करने वाले को रिप्लाई किया जा सकता है

इन दिनों सोशल मीडिया पर सऊदी अरब के चर्चित सराहा एप को आगरा के स्टार्ट एप ने बड़ी चुनौती पेश की है। बता दें, उन्होंने ऐसा एप बनाया है, जिसे हर घंटे लगभग 900 लोग डाउनलोड कर रहे हैं। रविवार को एप गूगल प्ले स्टोर में उपलब्ध कराने के बाद 22 हजार लोग इसे मोबाइल पर डाउनलोड कर चुके हैं। दरअसल इस एप में सराहा के विपरीत सोशल मीडिया पर कमेंट करने वाले को रिप्लाई किया जा सकता है।

सराहा एप इन दिनों बहुचर्चित है। युवा तो इसके फैन हो चुके हैं। इसकी वजह है कि इसके जरिए मैसेज करने पर पहचान उजागर नहीं होती। शुरुआत में यूजर्स को ये बहुत पसंद आता है, इसमें प्रोफाइल पर व्यक्तिगत बातों को लेकर मैसेज आते हैं। कई बार तारीफ भरे होते हैं लेकिन फिर तीखी बातें भी होती हैं। इससे लोग परेशान हो जाते हैं लेकिन मैसेज देखे बिना रह भी नहीं पाते हैं। मैसेज पर रिप्लाई भी नहीं कर सकते हैं। रिप्लाई न कर पाने से वह मुश्किल में रहते हैं। यह देख आगरा के तीन युवा एप डेवलपर उपेंद्र अवस्थी, कुनाल पसरीचा और अमित कुमार के दिमाग में नया एप डेवलप करने का आइडिया आया।

बीसीए कर चुके उपेंद्र ने बताया कि उनके पास सराहा एप पर मैसेज करने वाले का पता लगाने या फिर उसे रिप्लाई करने का तरीका पता लगाने के लिए फोन आ रहे थे। ऐसे में तीनों दोस्तों ने सोचा कि क्यों न वो एक ऐसा एप बनाएं, जिसमें मैसेज करने वाले को रिप्लाई किया जा सके। आइडिया सबको पसंद आया और इस पर काम शुरू किया।

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आपको बताते चलें की एप बनाने के लिए नाम को लेकर बहुत माथा-पच्ची हुई। सराहा की लोकप्रियता को देखते हुए उसके जैसा नाम रखना था, इसलिए सबने सराहा की तर्ज पर तराहा नाम चुना।

लग गए आठ दिन:कुनाल ने बताया कि वो पहले भी कई एप बना चुके हैं, लेकिन इस तरह का एप नहीं बनाया। पहले उन्होंने स्टडी की। एप बनाने में टीम को आठ दिन लगे। उन्होंने मैसेज करने वाले व्यक्ति को रिप्लाई करने का विकल्प दिया है। यही इस एप की खासियत है।

वहीं उपेंद्र ने बताया कि एप लॉच होने के कुछ घंटे में उसकी डाउनलोडिंग की रफ्तार देख बेंगलुरु की एक कंपनी से फोन आया। कंपनी ने एप को खरीदने का प्रस्ताव रखा, हालांकि उन्होंने अभी मना कर दिया है। उपेंद्र के दो सहयोगियों में कुनाल बीटेक और अमित कुमार ने एमटेक किया है। तीनों एसबीटी इंडिया के नाम से वेब और एप डेवलपिंग का काम करते हैं।

 

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