आगराः मोटे लोगों में स्वाइन फ्लू का खतरा ज्यादा ! जानें क्या है सच

संक्षेप:

  • मोटापे से ग्रस्त लोगों में स्वाइन फ्लू के संक्रमण का खतरा बढ़ने की संभावना नहीं होती
  • एसएन मेडिकल कॉलेज के बॉयोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रशांत प्रकाश ने स्पष्ट किया है
  • यह कहना गलत है कि मोटे लोगों में स्वाइन फ्लू का खतरा अधिक होता है

आगराः मोटापे से ग्रस्त लोगों में स्वाइन फ्लू के संक्रमण का खतरा बढ़ने की संभावना नहीं होती लेकिन डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और फेफड़ों की बीमारी वाले मरीजों में इसके संक्रमण का खतरा होता है। जी हां, एसएन मेडिकल कॉलेज के बॉयोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रशांत प्रकाश ने स्पष्ट किया है कि यह कहना गलत है कि मोटे लोगों में स्वाइन फ्लू का खतरा अधिक होता है। बता दें, हाल ही में हैबिलाइट ओबेसिटी ग्रुप के एक अध्ययन में कहा गया था कि मोटे लोगों में स्वाइन फ्लू का खतरा तीन गुना अधिक होता है।

डॉ. प्रशांत प्रकाश ने कहा कि ऐसा संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि सिर्फ मोटापा स्वाइन फ्लू का कारण नहीं हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एच1एन1 इन्फ्लुएंजा के कारण लोगों की श्वसन प्रणाली प्रभावित होता है। यह इंफ्लूएंजा श्वसन प्रणाली को प्रभावित करने वाला होता है। मोटापे से ग्रस्त लोगों में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और फेफड़ों की बीमारी जैसी समस्याएं होती हैं। ऐसे मोटे लोगों में स्वाइन फ्लू का खतरा हो सकता है क्योंकि इसका कारण मोटापा नहीं बल्कि उनकी अन्य बीमारियां कारक होती हैं।

अन्य संक्रमणों के कारण फेफड़ों पर अतिरक्ति भार और दबाव के कारण स्वाइन फ्लू के संक्रमण से लड़ना मुश्किल हो जाता है। चिकित्सीय भाषा में जिस व्यक्ति का बीएमआई 30 या उससे अधिक होता है, वह अत्यधिक मोटापे के शिकार की श्रेणी में आता है। वहीं दूसरी तरफ वह व्यक्ति जिसका बीएमआई 30 से थोड़ा कम होता है  उसे इस संक्रमण का खतरा भी कम होता है। हालांकि वह भी अधिक वजन की श्रेणी में ही आता है। वहीं अत्यधिक मोटापे के शिकार लोगों में जिनका बीएमआई 40 से अधिक होता है, उनमें स्वाइन फ्लू के कारण मौत का भी खतरा होता है। हालांकि वर्तमान समय में इन्फ्लुएंजा के बचाव के लिए लगने वाले इंजेक्शन ही फ्लू से लोगों की रक्षा करने का सर्वोत्तम उपाय है। लेकिन फिर भी यह इंजेक्शन सभी मामलों में प्रभावी साबित नहीं होते हैं। सामान्य व्यवहार में यह पाया गया है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों को इन्फलुएंजा शॉट्स देने के बावजूद उनमें संक्रमण से प्रभावित होने का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हो पाता। उन्हें इन्फ्लुएंजा व फ्लू जैसी बीमारियां काफी हद तक प्रभावित करती हैं। आगे उन्होंने कहा कि इस तथ्य के पीछे का कारण यह है कि मोटे लोगों की टी-कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पाती हैं। यही वो कोशिकाएं हैं, जो इन्फ्लुएंजा के प्रभाव से सुरक्षा करती हैं। यह बात अलग-अलग अध्ययनों में साबित भी हो चुकी है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में टी कोशिकाएं इन्फ्लुएंजा इंजेक्शन पर विपरीत प्रतिक्रिया देती हैं इसलिए मौसमी और महामारी इन्फ्लुएंजा वायरस संक्रमण से बचाव के लिए हम रोगियों को दवाइयों के अलावा स्वास्थ आहार की आदतों, व्यायाम, योग के वैकल्पिक उपचार को अपनाने की सलाह देते हैं।

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