अगर घूमने जा रहे हैं आगरा तो ताजमहल के अलावा इन जगहों पर भी जरुर जाएं
- Lakshmi
- Monday | 19th February, 2018
- travel and lifestyle
- ताजमहल के अलावा और भी बहुत कुछ है आगरा में
- आगरे का किला शुरुआत में ईंटों से बना था
- यमुना नदी के किनारे एत्माद-उद-दौला को नूरजहां ने बनवाया था
ताजमहल का दीदार करने लोग देश-विदेश से आते हैं और आए भी क्यों न ताजमहल की खुबसूरती लोगों को अपनी ओर खींच ही लाती है। लेकिन आगरा में सिर्फ ताजमहल ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ है जहां आप आराम से घूमने जा सकते हैं।
चलिए तो आज हम आपको बताते हैं आगरा में मौजूद ऐसी कुछ डेस्टिनेशन के बारे में जिन्हें देखने के बाद आप भी वहां एक बार जरूर जाना चाहेंगे-
आगरा किला
आगरे का किला शुरुआत में ईंटों से बना था, जिसे राजपूतों ने बनवाया था। बाद में अकबर ने इस किले को नए सिरे से बनवाया और अपनी राजधानी यहीं बसाई। आगरा के किले में कई दर्शनीय भवन हैं। यहां हर शाम लाइट शो का आयोजन भी होता है।
एत्माद-उद-दौला
यमुना नदी के किनारे इसे नूरजहां ने बनवाया था। नूरजहां-जहांगीर के मुख्यमंत्री यानी वजीर रहे मिर्जा ज्ञास बेग की याद में ये बना है, जिन्हें एत्माद-उद-दौला की उपाधि मिली थी। ये सफेद संगमरमर से बना है, पर बनाने के दौरान लाल बालू का भी जमकर उपयोग किया गया है। इतिहासकारों का मानना है कि ताजमहल इस भवन से प्रेरित होकर बना है। इसे मिनी ताजमहल भी करते हैं।
सिकंदरा
मुगल बादशाह अकबर का मकबरा यही है, जो 1605-1613 के बीच बनाया गया था। ये मकबरा 119 एकड़ में फैला है। बादशाह अकबर ने अपने जीते जी इस मकबरे को बनाने का आदेश जारी किया था, जिसे उसके बेटे जहांगीर ने पूरा करवाया। ये आगरा के मशहूर पर्यटक स्थलों में से एक है।
राम बाग
सबसे पुराने मुगल गार्डन का नाम राम बाग है, जिसे मुगल बादशाह बाबर ने 1528 में बनवाया था। इससे 5 किमी दूरी पर बाद में ताजमहल बना। रामबाग का निर्माण फारसी शैली में हुआ है। इसे आराम बाग नाम दिया गया था।
दयाल बाग
दयाल बाग की स्थापना राधास्वामी सत्संग के पांचवें संत आनन्द स्वरूप साहब ने की थी। दयालबाग की स्थापना भी बसन्त पंचमी के दिन 20 जनवरी 1915 को शहतूत का पौधा लगा कर की गई थी। दयालबाग राधास्वामी सत्संग का हेडक्वॉटर है। सन् 1908 में इसका निर्माण आरम्भ हुआ था और कहते हैं कि यह कभी समाप्त नहीं होगा। इसमें भी सफेद संगमरमर का प्रयोग हुआ है.
फतेहपुर सीकरी
रेत का समंदर बन चुका फतेहपुर सीकरी कभी मुगल साम्राज्य की राजधानी रहा है। इसे 16वीं शताब्दी में अकबर ने बसाया था। महज 15 साल बाद ही पानी की कमी की वजह से मुगल साम्राज्य को अपनी राजधानी आगरा में फिर से स्थापित करना पड़ा था।
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