यूपी के इस शहर में दूध बेचना है मना ! ये है पूरी कहानी

संक्षेप:

  • दूध जो है वो आसपास के गांवों में बांट आते हैं या फिर दान कर देते हैं
  • जाटव समुदाय की बहुलता वाले इस गांव में दूध बेचना अशुभ माना जाता है
  • इतना ही नहीं कई बार तो गाय मर जाने की भी खबर सामने आई है

ऐसा कहते हैं दूध में प्रोटीन होता है और दूध से ताकत भी मिलती है। लेकिन क्या यही दूध लोगों के लिए अभिषाप हो सकता है ? ये सोचने वाली बात है। दरअसल ऐसा है और वो भी कहीं और नहीं बल्कि यूपी के आगरा शहर में। आगरा के कुआं खेड़ा गांव में कुछ ऐसा है की ज्यादातर लोग जानवर तो पालते हैं, लेकिन दूध जो है वो आसपास के गांवों में बांट आते हैं या फिर दान कर देते हैं।

जाटव समुदाय की बहुलता वाले इस गांव में दूध बेचना अशुभ माना जाता है। ऐसा कहते हैं की इस गांव में लोगों ने सैकड़ों सालों से दूध नहीं बेचा है। इनका मानना है कि जिसने भी दूध बेचने की कोशिश की है, उसने नुकसान ही उठाया है। इतना ही नहीं कई बार तो गाय मर जाने की भी खबर सामने आई है।

लगभग 7,000 आबादी वाले  कुआं खेड़ा गांव में लगभग हर घर में एक गाय जरूर है। गांव वालों के मुताबिक, यहां एक दिन में दुग्ध उत्पादन 30,000 लीटर के आसपास होता है। इस मामले पर कुआं खेड़ा के ग्राम प्रधान का कहना है की, वो लोग दूध या तो किसी जरूरतमंद को दे देते हैं या फिर आपस में बांट लेते हैं। लेकिन हम लोग दूध को बेचते नहीं हैं, क्योंकि हमारे यहां इसे अशुभ माना जाता है। कुआं खेड़ा के प्रधान का दावे के साथ कहना है कि हमने सैकड़ों सालों से दूध नहीं बेचा है और जिसने भी दूध बेचने की कोशिश की है, उसने नुकसान ही उठाया है। कुआं खेड़ा गांव के विकास के लिए निरंतर प्रयास करने वाले ग्राम प्रधान ने कहा, हम लोग गांव में पशुओं से मिलने वाले दूध को छाछ, मक्खन और दही के लिए इस्तेमाल करते है. इसके बाद जो दूध बचता है उसको गांव के बाहर से आने वाले लोगों को मुफ्त में बांट दिया जाता है. वहीं दूसरे गांव में किसी लड़की के शादी होने पर दूध फ्री में देते है।

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गांव वालों की मानें तो यह परंपरा सैंकड़ों सालों से चली आ रही है। गांव के किसी भी व्यक्ति ने दूध बेचने की कोशिश नहीं की। वहीं, आसपास के गांवों के लोग डेयरी बिजनस से अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। वो गांवों और शहरों में दूध और अन्य प्रोडक्ट बेचते हैं। गांव के इतिहास की ओर देखें तो यहां लगभग 7 पीढ़ी के लोग ने आज तक दूध नहीं बेचा है। दूध नहीं बेचने के कारण लोग अन्य व्यवसायों से कमाई करते हैं।

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