#election 2018: किस्मत तो बंद हुई डिब्बे में, पर अपने ही कार्यकर्ता खोल रहे पर्चियों की पोल

चंद्रप्रकाश जोशी. अजमेर.

विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से टिकट वितरण से पूर्व अपनाई गई लोकतांत्रिक प्रक्रिया पूरी कर ली गई।

दावेदारों में अंदर तो एकराय बनी लेकिन बाहर दोराय के अलाप गूंजे।

इसकी वजह भी यही कि संगठन के आखिर ‘शिल्पकार’ कौन रहे? अब शिल्पकार को नजरअंदाज कर भी कोई दूसरा नाम पहले नम्बर पर नहीं लिख सकता।

हुआ भी यही अधिकांश ने पहले नम्बर पर शिल्पकार का ही नाम लिखा।

जयपुर में अजमेर जिले की रायशुमारी कार्यक्रम में जिस तरह से दावेदारों के चयन/ सुझाव की प्रक्रिया अपनाई गई इससे कुछ प्रमुख दावेदार की तो बांछें खिल गई मगर कुछ इसे सिर्फ फोरी औपचारिता मात्र बताया।

दावेदारों का मानना रहा कि जिलों एवं विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से जिन पदाधिकारियों को रायशुमारी के लिए बुलाया गया उनमें अधिकांश वे हैं जो वर्तमान पद पर काबिज हैं।

कुछ वे हैं जो पिछले 10 वर्षों में इन पदों पर रहे उन्होंने लीक से हटकर चयन नहीं किया।

उन्होंने अपने शिल्पकार का ही नाम पहले स्थान पर रहा।

इससे कुछ नए चेहरे एवं दावेदारों के चेहरे पर मायूसी देखने को मिली।

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