सावधान! जलसंकट की ये तस्वीरें कहीं आपके शहर और गांव की तो नहीं

संक्षेप:

  • देश के लगभग सभी राज्यों में पेयजल का संकट गहराता जा रहा है.
  • राजस्थान के ये नौ जिले जैसलमेर, जालोर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़, नागौर, चूरू और पाली सूखे की चपेट में आ चुके हैं.
  • बीते 10-11 सालों में यह चौथी बार हो रहा है कि भोपाल के बड़े तालाब का जलस्तर डेड स्टोरेज तक पहुंच गया.

जैसलमेर: देश के लगभग सभी राज्यों में पेयजल का संकट गहराता जा रहा है. पानी का यह संकट अनुपलब्धता नहीं बल्कि उचित जल प्रबंधन की वजह से है. राजस्थान के ये नौ जिले जैसलमेर, जालोर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़, नागौर, चूरू और पाली सूखे की चपेट में आ चुके हैं.बांधों की अगर बात करें प्रदेश के 284 बांधों में से 215 बांध लगभग सूख चुके हैं.

यह तस्वीर मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर से गुजरने वाली नर्मदा की है. पिपरिया के मनोज राठी बताते हैं कि उन्होंने यहां गर्मियों में भी अथाह पानी देखा हैं, पर आज इसकी यह हालत हो गई है.

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बीते 10-11 सालों में यह चौथी बार हो रहा है कि भोपाल के बड़े तालाब का जलस्तर डेड स्टोरेज तक पहुंच गया. बड़ा तालाब 36 किलोमीटर से सिकुड़कर सिर्फ 9 किलोमीटर के दायरे में रह गया है.

यह चंबा के तालाब की तस्वीर है, जो कीचड़ में तब्दील हो चुका है. पानी के उचित प्रबंधन के अभाव के चलते हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2018 में पानी की घोर किल्लत हो गई है. आइपीएच विभाग की 1350 पेयजल योजनाएं प्रभावित हो गई थीं.

भूकंप के चलते पहाड़ी इलाकों में जलस्रोत तेजी से सूख रहे हैं. एक एजेंसी के सर्वे के अनुसार उत्तराखंड के 17 हजार से ज्यादा गांवों के प्राकृतिक जलस्रोत सूख चुके हैं.

छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में जल संकट गहरा गया है. नाला, नदी, चैकडेम, स्टॉपडेम, प्राकृतिक और कृत्रिम जल निकाय समेत 735 पानी के स्त्रोत हैं. मनियारी नदी के उद्गम में नाम मात्र का पानी बचा है. सिहावल सागर भी सूख चुका है.

झारखंड में औसतन 1400 मिलीमीटर बारिश होती है, पर बारिश का पानी बह कर निकल जाता है. रांची में भूजल का स्तर सालाना 6 फीट नीचे गिर रहा है

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