पंचायत चुनाव: गर्मी के पहले यूपी में चढ़ा सियासी पारा

संक्षेप:

  • पंचायत चुनाव को ले बढ़ी सियासी तपीश
  • कई नेताओं के रंग उतरे, तो कई हुए गदगद 

अलीगढ़- माघ महीनें की खत्म होने और फाल्गुन महीनें के शुरूआत होते ही उत्तर भारत में सूर्य की तपीश बढ़ती जा रही है। जितनी तेजी से गर्मी पूरे उत्तर भारत में बढ़ रही है, ठीक उतनी ही तेजी से उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में भी सियासी गर्मी बढ़ रही है।  उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत चुनाव को देखते हुए सभी सियासी दलों ने अपनी कमर कस ली है। कहीं समाजवादी पार्टी पंचायत चुनाव में अपनी जीत की बात कहती है तो कहीं भारतीय जनता पार्टी अपनी जीत की हुंकार लगा रही है। इस पंचायत चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी भी सभी सियासी दलों को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार दिख रही है।

एक ओर फाल्गुन महीने के शुरूआत से होली के रंगो को हम अपनी हर ओर देख सकते है। पर उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव ने सभी पार्टी के अलग अलग कार्यकर्ताओं व नेताओं के रंग उतार दिए है या कहे तो रंग फिके कर दिए है। इस फिके रंग की सबसे बड़ी वजह बनी आरक्षण। जी हां इस बार कई पार्टी के ऐसे नेता थे जो पिछले साल भर से भी ज्यादा समय से चुनाव की तैयारी कर रहे थे, मगर उन नेताओं के मन के अनुसार आरक्षण न होने से उन सभी पार्टीयों के नेताओं के उम्मीदों पर पानी फिर गया है। आरक्षण के वजह से कई नेताओं को अपने सियासी कदम खींचने पड़े है। अब इन सियायसतदानों की पूरी नजर आपत्तियों के बाद आने वाली आरक्षण की फाइनल लिस्ट से है। इसके अलावा कई नेताओं ने तो अपने चयन के लिए पूरा समीकरण ही बदल लिए है।

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