प्रयागराज में गंगा नदी पर स्थित कर्जन ब्रिज को हेरिटेज पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा-जयवीर सिंह

संक्षेप:

  • मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि प्रयागराज में गंगा नदी पर निर्मित ओल्ड कर्जन ब्रिज को गंगा गैलरी-हेरिटेज पर्यटन स्थल के रूप में होगा विकसित।
  • मुख्यमंत्री ने ओल्ड कर्जन ब्रिज पर स्थापित की जाने वाली गंगा गैलरी को भव्य एवं दिव्य रूप देने के निर्देश दिये हैं।
  • यह 117 वर्ष पुराना रेलवे ब्रिज विभिन्न घटनाओं का साक्षी है।

प्रयागराज- प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि प्रयागराज में गंगा नदी पर निर्मित ओल्ड कर्जन ब्रिज को गंगा गैलरी-हेरिटेज पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। मुख्यमंत्री ने ओल्ड कर्जन ब्रिज पर स्थापित की जाने वाली गंगा गैलरी को भव्य एवं दिव्य रूप देने के निर्देश दिये हैं।

उन्होंने कहा है कि ओल्ड कर्जन ब्रिज की सांस्कृतिक गाथा की स्मृतियाँ समेटे हुए है। गंगा के दोनों किनारों पर सदियों से विभिन्न संस्कृतियों को फलने-फूलने का अवसर प्राप्त हुआ। यह 117 वर्ष पुराना रेलवे ब्रिज विभिन्न घटनाओं का साक्षी है। इससे जुड़ी स्मृतियों एवं गंगा नदी की दिव्यता को दर्शातें हुए गैलरी को सजाया जाये, ताकि आने वाले दशकों को प्रयागराज एवं माँ गंगा को भव्य तरीके से जानने का अवसर प्राप्त कर सकें।

ओल्ड कर्जन ब्रिज पर गंगा गैलरी

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पर्यटन और संस्कृति ने बताया कि विगत दिनों मुख्यमंत्री के समक्ष ओल्ड कर्जन ब्रिज पर गंगा गैलरी एवं हेरिटेज पर्यटन स्थल स्थापित किये जाने के लिये प्रस्तावित कार्य योजना का प्रस्तुतीकरण किया गया था। मुख्यमंत्री ने इस परियोजना में को शीघ्र तैयार किये जाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे ब्रिज पर शीशे का फर्श एवं उसके दोनों ओर ऊँची रेलिंग बनायी जाये। सेतु एवं सड़क के मध्य स्थान को शानदार एवं खूबसूरत बनाने पर मंथन किया जाये। पुल के दोनों किनारों पर रेलवे की जमीन है, जिसपर श्रद्धालुओं के लिये पार्किंग, टायलेट, टिकट काउन्टर, कैफेटेरिया का निर्माण किया जायेगा।

जयवीर सिंह ने बताया कि इस रेलवे ब्रिज की लम्बाई 997 मीटर है। इसके निर्माण कार्य की स्वीकृति वर्ष सन 1901 में दी गई थी और इसके निर्माण का कार्य वर्ष 1902 में शुरू किया गया। इस पुल का नामकरण वर्ष 1899 से 1905 तक भारत में वायसराय रहे लार्ड कर्जन के नाम पर किया गया। इस पुल पर ऊपर सड़क याता-यात एवं नीचे रेलवे का संचालन किया जाता था। वर्ष 1998 में रेलवे ने इसे यातायात के लिये असुरक्षित बाताते हुए इस पर यातायात का संचालन रोक दिया था और इसे तोड़ने का निर्णय लिया। राज्य सरकार के अनुरोध पर रेलवे ने इस रेलवे पुल को उत्तर प्रदेश सरकार को सौप दिया है। इसके स्वर्णिम इतिहास एवं जनभावना के मद्देनजर राज्य सरकार ने इसे हेरिटेज पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है।

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