Opionion: तो `रामजी` भी नहीं बचा पा रहे भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों को

संक्षेप:

  • योगी सरकार ने भीमराव अंबेडकर के नाम में जोड़ा है `रामजी`
  • सिद्धार्थनगर और इलाहाबाद में फिर से तोड़ी गई अंबेडकर की मूर्ति
  • `रामजी` भी नहीं बचा पा रहे भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों को

-अभिजीत पाठक

योगी सरकार ने अभी हाल ही में एक आदेश जारी किया, जिसमें सभी राजकीय अभिलेखों में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम के साथ `राम जी` जोड़ दिया जाएगा। रामजी भीमराव और अंबेडकर के बीच में होगा, जिसके बाद उनका पूरा नाम डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर करने के लिए सभी विभागों और इलाहाबाद-लखनऊ की सभी हाई कोर्ट की बेंचों को आदेश दिया गया।

यूपी में डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्तियां तोड़े जाने की घटना आम है। पिछले एक महीने से खासतौर पर कहीं ना कहीं अंबेडकर और उनके विरोधियों का सामना हो ही जाता है। कैबिनेट ने तो अंबेडकर के नाम के बीच में रामजी जोड़े जाने का आदेश तो जारी कर दिया लेकिन शायद रामजी भी अंबेडकर की मूर्ति को तोड़ने से बचा नहीं पा रहे तभी तो शनिवार को भी सिद्धार्थनगर और इलाहाबाद में डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की मूर्ति फिर से तोड़ी गई।

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बड़ा सवाल ये है कि बीजेपी के जो नेता भीमराव अंबेडकर को अपना पूज्य मानने की बात कह रहे हैं, वे अंबेडकर की मूर्तियों को तोड़ने के वालों के खिलाफ कोई सख्त कानून क्यों नहीं बना देते और यूपी पुलिस भी ऐसे अराजकतत्वों को रोक पाने में सफल क्यों नहीं हो पा रही।

बीजेपी ने भीमराव अंबेडकर के नाम के बीच में रामजी जोड़ने के पीछे एक तर्क ये भी दिया है कि संविधान के पन्ने में बाबा साहब का डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के नाम से हस्ताक्षर शामिल है। बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर महासभा के निदेशक डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल कहते हैं कि इस कैंपेन को राज्यपाल राम नाईक ने दिसंबर 2017 में शुरू किया था। राम नाईक ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और महासभा को पत्र लिखकर आंबेडकर के नाम का सही उच्चारण और सही नाम लिखने के लिए ध्यान आकृष्ट कराया था।

इन सबके बाबत विपक्ष अंबेडकर के नाम में रामजी जोड़े जाने को साम्प्रदायिकता समझ रही है। कुछ समय के लिए विपक्ष के बातों को सही ठहरा ही देते हैं तो क्या पुलिस और प्रशासन के बाद रामजी भी भीमराव अंबेडकर की मूर्तियां तोड़े जाने की घटनाओं को रोक नहीं पा रहे।

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