इलाहाबाद बैंक पढ़ाई के लिए अंजलि को भेजेगा कोटा और पढ़िए क्यों सवालों के घेरे में हैं यूपी बोर्ड के नतीजे

संक्षेप:

  • यूपी बोर्ड रिजल्ट
  • अंजलि वर्मा को पढ़ाई के लिए कोटा भेजेगा इलाहाबाद बैंक
  • सवालों के घेरे में यूपी बोर्ड के नतीजे

इलाहाबाद: यूपी बोर्ड की हाईस्कूल टॉपर अंजलि वर्मा को इलाहाबाद बैंक पढ़ाई के लिए कोटा भेजेगा. अंजलि की कोटा में पढ़ाई का पूरा खर्च इलाहाबाद बैंक उठाएगा. यह आश्वासन बैंक के डिप्टी जीएम हरि मोहन ने बुधवार को अंजलि और उसके परिजनों को दिया.

इलाहाबाद बैंक के डिप्टी जीएम हरि मोहन बुधवार को टॉपर अंजलि को सम्मानित करने उसके घर गए. डिप्टी जीएम व अन्य अफसरों ने अंजलि को बुके भेंट कर टॉपर बनने के लिए बधाई दी. साथ ही आगे की पढ़ाई में भी नाम रोशन करने के लिए हौसलाअफजाई की.

इस दौरान अंजलि ने इच्छा जताई कि वह पढ़ाई के लिए कोटा जाना चाहती है. पर परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है. इस पर डिप्टी जीएम ने अंजिल की कोटा में पढ़ाई का खर्च बैंक की ओर से उठाने का भरोसा दिया.

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वहीं यूपी बोर्ड की परीक्षा इस बार कई कारणों से चर्चा में रही. सीसीटीवी से लेकर छात्रों के परीक्षा छोड़ने तक. ये बात यहीं नहीं रुकी जब बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट घोषित हुए तो उसमें ये बात भी सामने आई कि कई स्कूलों से एक भी छात्र पास नहीं हुए.

अगर इन सभी बातों को छोड़ भी दिया जाए तो परीक्षा के नतीजे सवालों के घेरे में हैं. आरोप है कि बोर्ड ने कापियों में सिर्फ दो और तीन नंबर पाने वाले लाखों स्टूडेंट्स की मार्कशीट पर कई गुना ज़्यादा नंबर चढ़ाकर उन्हें पास घोषित कर दिया है.

कापियों पर दिए गए मार्क्स और मार्कशीट पर उसे बढ़ाकर कई गुना ज़्यादा किए जाने के तमाम दस्तावेज सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहे हैं. इस बारे में इलाहाबाद में यूपी बोर्ड के हेडक्वार्टर के अफसर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि अगर कुछ गड़बड़ नहीं है तो बोर्ड के अधिकारी सामने आकर अपना पक्ष क्यों नहीं रख रहे हैं.

दरअसल सोशल मीडिया पर एवार्ड शीट और मार्कशीट के साथ जो मैसेज वायरल हो रहा है, जिससे यह साफ़ है कि कई बच्चों को कापियों में सिर्फ दो या तीन नंबर ही मिले. इस आधार पर उन्हें उस सब्जेक्ट या पेपर में फेल रहना चाहिए था. कापियों पर दिए गए जो नंबर एवार्ड शीट पर चढ़ाए गए थे, मार्कशीट पर चढ़े नंबर उससे काफी अलग थे और उस रोल नंबर को पास दिखाया गया है. एवार्ड शीट के नंबरों को ही मार्कशीट पर चढ़ाया जाता है. ऐसे में दोनों के नंबरों में कई गुने का फर्क तमाम सवाल खड़े करता है. सोशल मीडिया पर एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों स्टूडेंट्स की एवार्ड शीट और मार्कशीट को वायरल कर बोर्ड इम्तहान में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के दावे किए जा रहे हैं.

हालांकि कुछ साल पहले यूपी बोर्ड ने मॉडरेशन स्कीम शुरू की थी. इसके तहत अगर कोई छात्र फेल हो रहा है तो उसे ग्रेस मार्क की तरह कुछ नंबर देकर पास कर दिया जाता है. हालांकि बोर्ड ने गोपनीयता के नाम पर कभी इस स्कीम का डिटेल्स सार्वजनिक नहीं किया.

गौरतलब है कि यूपी बोर्ड ने इस बार दसवीं और बारहवीं क्लास के नतीजे 29 अप्रैल को घोषित किये थे. रिजल्ट के दिन ही कई गड़बड़ियां सामने आई थीं. बोर्ड ने एक बार छाछठ लाख से ज़्यादा स्टूडेंट्स को एडमिट कार्ड जारी किया था, जबकि पासिंग पर्सेंटेज सिर्फ छप्पन लाख छात्रों में से ही निकाला. बाकी के दस लाख बच्चों के बारे में बोर्ड की दलील थी कि उन्होंने बीच में ही इम्तहान छोड़ दिया है. हालांकि बोर्ड के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि उसे तो हर बच्चे की मार्कशीट जारी करनी होती है.

स्टूडेंट जितने सब्जेक्ट में अनुपस्थित रहता है उसके आगे A यानी एब्सेंट लिखकर रिजल्ट में फेल लिखा जाता है. इसके अलावा इम्तहान खत्म होने के बाद बोर्ड ने ग्यारह लाख बत्तीस लाख स्टूडेंट्स को ड्रापआउट में दिखाया गया था, लेकिन रिजल्ट जारी करते वक्त सिर्फ दस लाख सात हजार छात्रों को ही ड्रापआउट में दिखाया गया. पहले ड्रापआउट दिखाए गए तकरीबन सवा लाख बच्चे कहां गए और क्या उन्हें पास कर दिया गया, इसका जवाब भी बोर्ड के पास नहीं है. जाहिर है इस बार के रिजल्ट में कहीं न कहीं गड़बड़ी जरूर है, इसलिए बोर्ड के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं क्योंकि उनके पास इसका जवाब ही नहीं है.

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