UP में लव जिहाद कानून:सरकार की दलील को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ठुकराया, एक हफ्ते के लिए टली सुनवाई

संक्षेप:

इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के धर्मांतरण अध्यादेश (लव जिहाद) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान UP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चलने का हवाला देते हुए दाखिल याचिकाओं की सुनवाई स्थगित किए जाने की मांग। जिसे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर, जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की डिवीजन बेंच ने नामंजूर कर दिया। कोर्ट ने अंतिम सुनवाई के लिए 25 जनवरी की तारीख तय की है।

इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के धर्मांतरण अध्यादेश (लव जिहाद) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान UP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चलने का हवाला देते हुए दाखिल याचिकाओं की सुनवाई स्थगित किए जाने की मांग। जिसे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर, जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की डिवीजन बेंच ने नामंजूर कर दिया। कोर्ट ने अंतिम सुनवाई के लिए 25 जनवरी की तारीख तय की है।

हाईकोर्ट ने कहा- सुनवाई पर रोक नहीं लगा सकते

राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी इस प्रकरण की सुनवाई कर रही है। राज्य सरकार ने सभी याचिकाओं को ट्रांसफर कर एक साथ सुने जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है। इसलिए जब तक अर्जी तय नहीं हो जाती है, सुनवाई स्थगित की जाए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल नोटिस जारी की है, कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया है। इसलिए सुनवाई पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। एडवोकेट जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जल्द अर्जी पर सुनवाई होनी है। इस पर कोर्ट से समय मांगा गया है। जिस पर हाईकोर्ट ने 25 जनवरी की दोपहर दो बजे अंतिम सुनवाई के लिए पेश होने का निर्देश दिया है। बता दें कि सरकार ने 5 जनवरी को 102 पन्नों का अपना जवाब दाखिल करते हुए अध्यादेश को जरूरी बताया था।

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दाखिल हुई थी चार याचिकाएं

दरअसल, वकील सौरभ कुमार, बदायूं के अजीत सिंह यादव, सरकारी कर्मचारी आनंद मालवीय और कानपुर के एक पीड़ित की तरफ से याचिका दाखिल की गई है। सभी याचिकाओं में अध्यादेश को गैर जरूरी बताया गया है। कहा गया है कि सिर्फ सियासी फायदे के लिए यह अध्यादेश लाया गया है। इसमें एक वर्ग विशेष को निशाना बनाया जा सकता है।

28 नवंबर को प्रदेश में प्रभावी हुआ था कानून

योगी सरकार की कैबिनेट से मंजूरी के बाद उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को गैर कानूनी धर्म परिवर्तन रोकथाम अध्यादेश ( Prohibition of Unlawful Religious Conversion Ordinance, 2020 -PURC) को मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश में लव जिहाद या किसी खास धर्म का उल्लेख नहीं है, लेकिन यूपी में इसे लव जिहाद के खिलाफ कानून कहा जा रहा है।

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