इलाहाबाद हाईकोर्ट: पुलिस पिटाई से छात्रा की मौत की सीबीआई से जांच कराने पर सरकार से जवाब तलब

संक्षेप:

  • हाईकोर्ट ने चार हफ्ते में राज्य सरकार से जवाब मांगा।
  • पुलिस द्वारा गुंडा एक्ट की कार्रवाई के तहत अभियुक्त के घर पर की थी दबिश।
  • पुलिस ने पूरे परिवार को पीटा, जिससे छात्रा की मौत हो गई थी।

प्रयागराज- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छात्रा की मौत की जांच सीबीआई से कराने पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। आरोप है कि चंदौली के सैय्यदराजा थाना पुलिस द्वारा गुंडा एक्ट की कार्रवाई के तहत अभियुक्त के घर पर दबिश दी गई। इस दौरान पुलिस ने पूरे परिवार को पीटा, जिससे छात्रा निशा यादव की मौत हो गई। याचिका की सुनवाई 29 जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकर तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने विजय यादव उर्फ रणविजय यादव व अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

मामले के अनुसार एक मई 22 को साढ़े तीन बजे दिन में एसएचओ सैय्यदराजा, उदय प्रताप सिंह ने पुलिस टीम के साथ मनराजपुर गांव के कन्हैया यादव के घर पर दबिश दी। कन्हैया के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी। एडीएम चंदौली ने छह फरवरी 22 को उसे गुंडा घोषित किया था।

पुलिस टीम को कन्हैया यादव नहीं मिला तो परिवार के सदस्यों की जमकर पिटाई की, जिसमें 21 वर्षीय छात्रा निशा यादव की पुलिस पिटाई से मौके पर ही मौत हो गई। भाई (याची) का चालान कर दिया गया। बहन गुंजा यादव की तरफ से एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दी गई, किंतु उसे दर्ज नहीं किया गया। लोगों ने हाईवे जाम कर दिया। याची जमानत पर रिहा हुआ तो दूसरे दिन दो मई को पुलिस कर्मियों के खिलाफ  एफआईआर दर्ज की गई।

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सरकार ने पुलिस के खिलाफ केस की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी। तीन डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया, किंतु मृत्यु का कारण नहीं पता चला। मृतका के शरीर पर चोटें व गले में आधे फंदे के निशान के फोटोग्राफ  सहित अन्य सबूतों के आधार पर पुलिस पर हत्या करने का परिवार ने आरोप लगाया है। याची का कहना है कि मामले की जांच हाईकोर्ट के जज, एसआईटी या सीबीआई से कराई जाए। साथ ही मृतका के परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिलाने की भी मांग की गई है।

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