राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में करोड़ों का घोटाला आया सामने, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

संक्षेप:

  • 144 गावों के विद्युतीकरण का ठेका हैदराबाद की कंपनी को दिया गया था।
  • मेसर्स आई वी आर सी एल इंफ्रास्ट्रक्चर एण्ड प्रोजेक्ट लि हैदराबाद व बिजली विभाग के अभियंताओं की मिलीभगत से करोड़ों रूपए का बिना काम किए भुगतान लिया गया।
  • झांसी के 23गांवों का मुआयना किया गया, जिसमें 87 फीसदी इलेक्ट्रिक मीटर बाइक्स फिटिंग नहीं मिली।

प्रयागराज- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुंदेलखंड विद्युतीकरण योजना के तहत झांसी  के 144 गावों में से 23गावों के मुआयने में 1600 करोड के घपले की वसूली करने व विजिलेंस जांच पूरी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी है। सुनवाई 5अगस्त को होगी। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि  भारी संख्या में गांवों के लोग विवेचना में शामिल हैं। अब तक क्या तथ्य इकट्ठा किए गए हैं। यदि जमानत पर नहीं हैं तो क्या अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है।यदि गिरफ्तार नहीं किया गया है तो क्या कारण है।

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने परिहरनपुर जालौन के निवासी गिरिजा सिंह की याचिका पर दिया है। याची  का कहना है कि मेसर्स आई वी आर सी एल इंफ्रास्ट्रक्चर एण्ड प्रोजेक्ट लि हैदराबाद व बिजली विभाग के अभियंताओं की मिलीभगत से करोड़ों रूपए का बिना काम किए भुगतान लिया गया है।जिसकी जांच विजिलेंस विभाग कर रहा है।5जुलाई 19को  थाना नवाबाद  , झांसी में एफ आई आर दर्ज कराई गई है।

याची का कहना है कि 2005-6 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युत योजना के तहत 144 गावों के विद्युतीकरण का ठेका हैदराबाद की कंपनी को दिया गया।9505 पोल में से 50 फीसदी पैरामीटर के अनुसार नहीं लगाए गए  है। झांसी के 23गांवों का मुआयना किया गया, जिसमें 87 फीसदी इलेक्ट्रिक मीटर बाइक्स फिटिंग नहीं मिली। याचिका में बिजली विभाग के आधे दर्जन अभियंताओं को भी पक्षकार बनाया गया है। याची का कहना है कि विजिलेंस विभाग जांच ठीक से नहीं कर रहा। जांच पूरी करने का निर्देश दिया जाए।

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