देवरिया शेल्टर होम कांड: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई योगी सरकार को फटाकर

संक्षेप:

  • देवरिया शेल्टर होम कांड
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट में SIT रिपोर्ट पेश
  • सरकार को कड़ी फटकार

इलाहाबाद: देवरिया के मां विंध्यवासिनी शेल्टर होम में बच्चियों के साथ देह व्यापार के मामले में सोमवार को इलाहबाद हाईकोर्ट में अहम सुनवाई चल रही है. सुनवाई शुरू होते ही मामले की जांच कर रही सरकार की एसआईटी ने अब तक की प्रगति रिपोर्ट दाखिल की. रिपोर्ट देखने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने राज्य सरकार से कई जानकारियां मांगी. साथ ही पूछा है कि कौन सी एनजीओ अच्छी है, जहां लड़कियों को रखा जा सकता है. हाईकोर्ट ने इसके साथ ही देवरिया के सभी एसएचओ को लेकर भी जानकारी मांगी है. वहीं एसआईटी जांच में शामिल अधिकारियों की भी जानकारी तलब की है.

हाईकोर्ट ने मामले में शेल्टर होम में आने जाने वालों को लेकर आस-पास रहने वालों को बयान न दर्ज करने पर नाराजगी जताई. बता दें सामाजिक कार्यकर्ता डॉ पद्मा सिंह और अनुराधा ने ये याचिका दाखिल की है. स्त्री अधिकार संगठन ने भी इसी मामले को लेकर जनहित याचिका दाखिल की है. हाईकोर्ट दोनों याचिकाओं की एक साथ सुनवाई कर रहा है.

याचिका में यूपी के सभी शेल्टर होम में अच्छी व्यवस्था और सुरक्षा की मांग की गई है. वहीं अवैध रुप से चल रहे शेल्टर होम बन्द करने की भी मांग की गई है. चीफ जस्टिस डी बी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ मामले में सुनवाई कर हरी है.

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जानकारी के अनुसार एसआईटी द्वारा दाखिल रिपोर्ट में बच्चियों के बयान, उनकी मेडिकल रिपोर्ट, शेल्टर होम के स्थगित होने के बाद से पुलिस की छापेमारी तक की गई कार्रवाई की बात दर्ज है. मामले में योगी सरकार ने सीबीआई जांच की संस्तुति भी कर दी है.

गौरतलब है कि 8 अगस्त को देवरिया के मां विंध्यवासिनी बालगृह बालिका शेल्टर होम में कथित यौन शोषण के मामले को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच की खुद मॉनिटरिंग करने की बात कही थी. पिछले बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता पद्मा सिंह और अनुराधा द्वारा दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने 13 अगस्त तक मामले से संबंधित सभी जानकारियां तलब की थी.

याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने पूछा था कि सीबीआई ने मामले में अभी केस दर्ज किया है कि नहीं. डिवीज़न बेंच ने सरकार से पूछा कि सेक्स रैकेट के पीछे राजनेता व वीआईपी तो नही हैं? हाईकोर्ट ने सभी लड़कियों के बयान भी तलब किए हैं. अदालत ने पूछा कि डीएम को हटाया गया, लेकिन पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? अदालत ने यह भी जानकारी मांगी है कि संस्था ब्लैक लिस्टेड थी तो पुलिस इस शेल्टर होम में लड़कियों को क्यों भेजती थी?

आपको बता दें कि इससे पहले सरकार की तरफ से गठित दो सदस्यीय जांच टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी थी. जिसके बाद मंगलवार रात प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्यमंत्री ने मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति की थी. साथ ही सबूतों के साथ छेड़खानी न हो इसलिए एडीजी क्राइम के नेतृत्व में एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया था. मुख्यमंत्री ने मामले में जिला प्रशासन को गलत बताते हुए पूर्व डीएम के खिलाफ चार्जशीट जारी करने का भी निर्देश दिया.

कोर्ट ने पुलिस को कड़ी फटकार लगायी. साथ ही मीडिया को भी नसीहत दी हाईकोर्ट ने कहा मीडिया पीड़ित लड़कियों के नाम व पहचान उजागर न करें. अन्यथा कोर्ट अवमानना की कार्यवाही करेगी.

हाईकोर्ट ने शेल्टर होम के पड़ोसियों तथा स्टाफ का आईओ द्वारा बयान दर्ज न करने पर नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि लड़कियां वीआईपी के यहां भी जाती थी, उन्हें लाने ले जाने वाले ड्राइवर व वीआईपी के बयान आईओ ने क्यों नहीं लिए. षड्यंत्र में लिप्त लोगों के खिलाफ क्यों नहीं की कार्रवाई. कोर्ट पुलिस विवेचना के तरीके से बेहद असन्तुष्ट. उस पर सख्त कार्रवाई करने को कहा.

अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि 48 घंटे का समय दिया जाए, सरकार स्वयं सख्त कार्रवाई करने जा रही है. इसमें लिप्त पुलिस अफसर व सिपाहियों सहित अन्य लोगों पर होगी कार्रवाई.

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