इलाहाबाद का नाम हुआ प्रयागराज, कैबिनेट में प्रस्ताव पर लगी मुहर

संक्षेप:

  • इलाहाबाद का नाम हुआ प्रयागराज
  • कैबिनेट में प्रस्ताव पर लगी मुहर
  • साधुओं ने किया फैसले का स्वागत

मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज बदलने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। इसके बाद शासनादेश जारी कर शहर में जहां-जहां भी इलाहाबाद नाम होगा उसकी जगह अब प्रयागराज लिखा जाएगा।

कैबिनेट के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने पर कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। सिर्फ जिले का ही नाम प्रयागराज नहीं होगा बल्कि जहां जहां भी इलाहाबाद नाम का प्रयोग किया गया है उसका भी नाम बदल जाएगा।

साधु-संतों में ख़ुशी का माहौल:

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इलाहाबाद का नाम बदले जाने को लेकर संगम तट पर भी लोगों में उत्साह देखने को मिला। संगम पर आने वाले श्रद्धालुओं से लेकर तीर्थ पुरोहित समाज और प्रयागवाल सभा ने सीएम योगी के इस फैसला का स्वागत किया है।

प्रयागराज का इतिहास:

आपको बता दें कि संगम नगरी इलाहाबाद को तीर्थ राज प्रयाग भी कहा जाता है। यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने आते हैं क्योंकि संगम में डूबकी लगाने का एक विशेष महत्व है। इसके साथ ही शास्त्रों के मुताबिक संगम में पितृपक्ष में पिण्डदान का भी विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग गया और काशी नहीं जा पाते। उन्हें प्रयागराज में पिंडदान से गया के बराबर ही पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है।

शास्त्रों में प्राचीन नाम प्रयाग:

ऐसा कहा जाता है कि इलाहाबाद का शास्त्रों में प्राचीन नाम प्रयाग ही है। लेकिन अकबर ने 1583 में प्रयाग में यमुना के तट पर किले का निर्माण कराया और इस शहर का नाम बदलकर अल्लाहाबाद कर दिया जो कालान्तर में इलाहाबाद हो गया। प्रयाग की पहचान लौटाने का फैसला अब योगी सरकार ने लिया है। योगी सरकार 435 सालों के बाद प्रयाग का पुराना नाम देने जा रही है। वहीं संगम पर आने वाले श्रद्धालुओं की माने तो अभी भी इलाहाबाद को प्रयाग के नाम से ही जानते हैं।

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