NYOOOZ Exclusive: यूपी पुलिस के पास आतंकवाद से निपटने के लिए नहीं हैं आधुनिक हथियार

संक्षेप:

  • पुलिस आधुनिकीकरण के मामले में फेल केंद्र और राज्य सरकार
  • आतंकवाद और नक्सलवाद को लेकर सरकार नहीं है गंभीर
  • सीएजी की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

By: हसनैन हसन

इलाहाबाद: आतंकवादी घटनाओं के लिहाज से संवेदनशील होते जा रहे उत्तर प्रदेश में पुलिस आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण के मोर्चे पर केन्द्र और राज्य सरकारें फिसड्डी साबित हो रही है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की जारी ताजा रिपोर्ट में इस बात का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में जहां पुलिस के पास आतंकवाद और नक्सलवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए अत्याधुनिक हथियार तक मौजूद नहीं है। तो वहीं संसाधनों के साथ ही प्रशिक्षित कमांडो फोर्स की भी बेहद कमी है। 

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यूपी पुलिस में मार्डनाइजडेशन की स्थिति बेहद खराब है। विधानसभा के पटल पर शुक्रवार को रखी गई सीएजी की ताजा रिपोर्ट यही बता रही है। 31 मार्च 2016 को समाप्त हुए वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ऑडिट रिपोर्ट में नियोजन और वित्तीय प्रबन्धन के मामले में केन्द्र और राज्य सरकार का रवैया बेहद ढुलमुल रहा है।

वर्ष 2011 से वर्ष 2016 तक केन्द्र की पुलिस मार्डनाइजेशन की योजनाओं में  केन्द्र और राज्य दोनों ही सरकारों ने बेहद कम योगदान दिया है। केन्द्र सरकार ने जहां 70 प्रतिशत यानि 496.84 करोड़ की धनराशि अवमुक्त की। वहीं राज्य सरकार ने अपने अंशदान में महज 38 प्रतिशत यानि 162.60 करोड़ धनराशि जारी की।

जबकि पुलिस के विभिन्न विभागों को मिले बजट में विभाग 41 फीसदी बजट ही नहीं खर्च पाये। इसके साथ ही प्रदेश की 48 फीसदी पुलिस के पास 20 साल पुराने प्वान्ट 303 बोर रायफल हैं। जिसे गृह मंत्रालय अप्रचलित घोषित कर चुका है।

इसके साथ ही यूपी पुलिस की संचार प्रणाली की स्थिति बेहद चिंताजनक है। तो वहीं 27 प्रतिशत पुलिस के पास वाहनों की कमी है। साथ ही केवल 44 प्रतिशत जिलों को ही मोबाइल फोरेंसिक वैन की सुविधा उपलब्ध है। प्रदेश में साइबर अपराध रोकने के लिए केवल दो ही थाने लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में खोले गए हैं।

जबकि प्रदेश में केवल 1460 थाने हैं , जबकि 1115 थानों यानि 44 प्रतिशत थाने और खोलने की जरुरत है। इसके साथ ही राज्य में एक अप्रैल 2015 तक 377474 की स्वीकृत संख्या के सापेक्ष 180649 पुलिस कार्मिक यानि 48 फीसद ही उपलब्ध हैं। उपनिरिक्षकों के 52 प्रतिशत और आरक्षियों के 55 प्रतिशत पद रिक्त हैं।

वहीं सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आतंकवादी और नक्सलवाद की घटनाओं को लेकर भी राज्य और केन्द्र सरकारें ज्यादा गम्भीर नहीं हैं। सीएजी द्वारा तीन स्पेशल फोर्सेज की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यूपी पुलिस ने जून 2009 में एटीएस के तहत 2000 कमांडो के कमांडो  यूनिट और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की तर्ज पर चार कमांडों केन्द्रों की स्थापना की जायेगी।

लेकिन दो हजार की कमांडो फोर्स की यूपी शासन ने आज तक स्वीकृति प्रदान नहीं की है। इसके साथ ही एटीएस के साथ आज भी पीएसी के कमांडो प्रशिक्षण प्राप्त 79 कर्मियों को सितम्बर 2016 तक तैनात किया गया था। इसके साथ ही जून 2011 में स्वीकृत कमांडो ट्रेनिंग स्कूल भी जमीन न मिलने की वजह से आज तक नहीं बन पाया है और इसकी लागत भी साढ़े बारह करोड़ बढ़ गई है। 

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