इलाहाबाद में क्राइम की घटनाओं से लोगों में खौफ, शस्त्र लाइसेंस की मांग बढ़ी

संक्षेप:

  • इलाहाबाद में लगातार बढ़ रही आपराधिक घटनाएं
  • शस्त्र लाइसेंस प्रक्रिया को शुरू करने की होने लगी मांग
  • हर महीने सैकड़ों शस्त्र लाइसेंस की फाइल हो रही खारिज

इलाहाबाद: इलाहाबाद में लगातार बढ़ रही आपराधिक घटनाओं का खौफ अब आम लोगों पर भी दिखने लगा है। यही कारण है कि एक बार फिर शस्त्र लाइसेंस प्रक्रिया को शुरू करने की मांग होने लगी है।

गौरतलब है कि लम्बे समय से लोगों के लिए रिवॉल्वर,पिस्टल, राइफल, बंदूक का लाइसेंस लेना अब आसान नहीं रह गया। बीते पांच सालों से जिला प्रशासन की ओर से सामान्य असलहों के लाइसेंस पर रोक लगा दी गई है। जिसे अभी हरी झंडी मिलने का इंतजार है।

जिला प्रशासन के सूत्रों की माने तो हर महीने सैकड़ों शस्त्र लाइसेंस की फाइल खारिज की जा रही है। शस्त्र लाइसेंस के लिए लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। लेकिन प्रशासनिक तौर से अनुमति न मिलने के चलते लाइसेंस देने में जिला प्रशासन असमर्थ है। जानकारी के अनुसार खुद जिला प्रशासन के अधिकारी लाइसेंस के लिए शासन से अनुमति लेने की बात कह रहे हैं ।कई बार संसुति पत्र भी भेजा जा चुका है। लेकिन अभी तक किसी भी तरह का आदेश नहीं मिला है।

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सामान्य शस्त्र लाइसेंस पर रोक लगने के बाद से केवल आपराधिक मामलों में ही शस्त्र लाइसेंस दिया गया है। बीते पांच सालों में शस्त्र लाइसेंस उन लोगों को मिलाए जो अपराध पीड़ित रहे। शासन से आदेश के बाद जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को शस्त्र लाइसेंस देने में तवज्जो दी है।

जिले में अपराध पीड़ितों के अलावा वरासत या वृद्ध परिजनों से शस्त्र लाइसेंस को दूसरे के नाम से जारी किया गया है इस तरह के कुल 594 लाइसेंस निर्गत हुए हैं वहीं जिले में शूटिंग प्रतियोगिता के लिए एक लाइसेंस राष्ट्रीय शूटर को भी दिया गया है यह सभी लाइसेंस की प्रक्रिया 7 दिसंबर 2013 से 31 मई 2017 के बीच की गई जानकारी के अनुसार सभी प्रकार के शस्त्रों के लिए अभी भी 200 से ज्यादा फाइलें अलग.अलग स्थानों पर विभागीय स्थानों पर फंसी है।

जिला प्रशासन के आंकड़े के अनुसार 2013 से लेकर अब तक 115 पीड़ित परिवारों के व्यक्तियों को लाइसेंस मुहैया कराया गया। जिले में 7 दिसंबर 2013 से सामान्य लाइसेंस पर रोक लगी है। जिसके बाद से लेकर अभी तक सामान असलहों के लाइसेंस पर हरी झंडी नहीं मिली। लेकिन जिन आवेदकों को जान माल की सुरक्षा के तहत लाइसेंस चाहिए था या पीड़ित परिवारों को लाइसेंस दिया गया है जिनके परिजनों के साथ घटना दुर्घटना हुई एक आंकड़े के अनुसार अब तक बीते 2013 से मई 17 तक 115 शस्त्र लाइसेंस दिए गए। इन सभी लोगों को तत्कालीन जिलाधिकारी एशासन के आदेश पर लाइसेंस निर्गत किया गया है।

जानकारी के अनुसार जिले में कुल 45000 असला लाइसेंस पिछले 5 सालों में 115 लाइसेंस अपराध पीड़ित परिवारों को दिए गए हैं जबकि 594 शस्त्र वरासत या वृद्धा स्थांतरण के तहत एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लोगों को दिए गए महेश जिले में एक शूटिंग लाइसेंस भी निर्गत किया गया है।

प्रशासन के असलहा विभाग के सूत्रों की माने तो सामान्य लाइसेंस के लिए शासन से अनुमति लेनी अनिवार्य है या केंद्र सरकार की गाइडलाइन जिला स्तर से जिलाधिकारी या जिले के कप्तान अपराध पीड़ित परिवार की महिला या पुरुष या उनके परिजनों को शस्त्र दे सकते हैं या परिवार की ही विरासत की वरासत की शस्त्र संबंधी फाइलें निपटाई जा रही है। जानकारी के अनुसार किस जिले में शूटिंग खिलाड़ी को ही शस्त्र लाइसेंस मिलने का अनुमान है पहले की तरह आप ठेकेदारी या नेता प्रतिनिधि या उनके लोगों को लाइसेंस लेने के लिए शासन से अनुमति लेनी होगी।

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