चौथी तिमाही में 7.7% रही देश की जीडीपी

संक्षेप:

  • आर्थिक मोर्चे पर अच्छी खबर
  • चौथी तिमाही में जीडीपी बढ़कर 7.7% रही
  •  नोटबंदी और GST का असर खत्म!

चौथी तिमाही में देश की जीडीपी में अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है. वित्त वर्ष 2017-18 की आखिरी तिमाही (जनवरी से मार्च) में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.7 फीसदी रही है, जबकि 7.4 फीसदी का अनुमान लगाया जा रहा था.

वहीं,  पिछली तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 फीसद रही थी. जबकि, वित्त वर्ष 2017-18 में जीवीए 6.5 फीसदी रहा है. आपको बता दें कि जीडीपी का मतलब होता है ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट. किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का यह पैमाना या जरिया है.

गौरतलब है कि यह जीडीपी ग्रोथ रेट का बीती छह तिमाहियों में सबसे उम्दा प्रदर्शन है. आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष (2017-18) की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जीडीपी 6.3 फीसद और वहीं पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.7 फीसदी रही थी.

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एक्सपर्ट्स का मानना है कि कि जीडीपी के ताजा आंकड़ो से साफ है कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था अब नोटबंदी और जीएसटी के झटके से उबर कर मजबूती की राह पर है. रिजर्व बैंक ने भी अप्रैल की मॉनिटरी पॉलिसी स्‍टेटमेट में कहा था कि देश में निवेश की गतिविधियों में तेजी आ रही है जिससे आने वाले समय में अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी आएगी.

इससे पहले उद्योग मंडल फिक्की ने पूरे देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी- मार्च) के दौरान 7.1 फीसदी रहने का अनुमान दिया था. फिक्की ने वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी की वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान जताया था. फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वे में कहा गया था कि पूरे वित्त वर्ष 2017-18 में स्थिर मूल्य पर जीडीपी की वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है.

बुधवार को अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के अपने अनुमान को घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया था. पहले एजेंसी ने 7.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया था. मूडीज ने कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था में क्रमिक सुधार हो रहा है लेकिन तेल की बढ़ती कीमतें और मुश्किल वित्तीय हालात भारत की सुधार की रफ्तार को धीमा करेंगी.

भारत में जीडीपी की गणना प्रत्येक तिमाही में होती है. जीडीपी का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में उत्पादन की वृद्धि दर पर आधारित होता है. जीडीपी को मापने के लिए कृषि, उद्योग और सर्विस तीन प्रमुख चीजें होती हैं. इसके अलावा इसमें निजी खपत, अर्थव्यवस्था में सकल निवेश, सरकारी निवेश, सरकारी खर्च और नेट फॉरेन ट्रेड (निर्यात और आयात का फर्क) शामिल होता है. इन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने या घटने के औसत आधार पर जीडीपी दर तय होती है.

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