वायरल चैट और कॉल रिकॉर्डिंग के मामले में इविवि के कुलपति रत्न लाल हांगलू को मिली क्लीन चिट

संक्षेप:

  • इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति को मिली क्लीन चिट
  • कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कार्यवाहक कुलपति को सौंपी
  • व्हाट्स एप चैट और कॉल रिकॉर्डिंग हुई थी वायरल

इलाहाबाद: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू को लेकर वायरल हुए व्हाट्स एप चैट और कॉल रिकॉर्डिंग के मामले की जांच के लिए बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कार्यवाहक कुलपति को सौंप दी है। 

व्हाट्स एप चैट और कॉल रिकॉर्डिंग में जिस महिला का नाम सामने आया है, उसकी ओर से दिए गए हलफनामे को आधार बनाकर जांच कमेटी ने कुलपति को क्लीन चिट दे दी है। कुलपति पर आरोप लगाने वालों की ओर से किसी ने जांच कमेटी को न तो साक्ष्य दिए और न ही कोई हलफनामा दिया।

वहीं 15 लोगों ने कुलपति के समर्थन में जांच कमेटी को साक्ष्य जरूर दिए हैं। क्लीन चिट देने के पीछे इसे भी आधार बनाया गया है। इविवि के पीआरओ डॉ. चित्तरंजन सिंह के अनुसार नौ पन्नों की रिपोर्ट केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजी जाएगी।

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जांच कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण टंडन को दिए गए हलफनामे में महिला ने लिखा है, ‘मैं लॉ स्कॉलर नहीं हूं। इलाहाबाद में कुछ लोग मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि मैं वहां दस वर्षों से नहीं गई। मैं व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपनी बात रखना चाहती हूं। मैं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हूं, इसलिए मुझे सुरक्षा मुहैया कराई जाए।’

हलफनामे से पहले महिला ने जांच कमेटी के अध्यक्ष को टाइप किया हुआ एक पत्र भी भेजा, जिस पर लिखा था, ‘मेरे विभिन्न साक्षात्कार, पब्लिक डोमेन में कहे हुए मेरे वक्तव्यों को लगातार गलत तरीके से साक्ष्य बनाकर पेश किया जा रहा है।

मैं आपके समक्ष स्वयं उपस्थित होकर अपनी बात कहना चाहती हूं, क्योंकि मुझे किसी भी व्यक्ति, दल, संस्था, संगठन पर भरोसा न रहा। मेरा जीवन इस माहौल में भीषण संकट में है। मुझ पर लगातार जानलेवा हमले किए जा रहे हैं।’

जांच रिपोर्ट में न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने कहा है कि वह केवल तथ्य अन्वेषी जांच कर रहे हैं और कुलपति के खिलाफ किसी तरह के आरोप नहीं लगाए गए, इसलिए महिला को इलाहाबाद नहीं बुलाया गया।

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