फूलपुर उपचुनाव: पिता ने दी थी गांव के हर घर में नौकरी, बेटे को घूमना पड़ रहा द्वार-द्वार

संक्षेप:

  • फूलपुर लोकसभा चुनाव
  • मनीष मिश्रा हैं कांग्रेस प्रत्याशी
  • 11 मार्च को होगा मतदान

इलाहाबाद: फूलपुर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। कांग्रेस भी काफी सक्रिय दिख रही है। कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी घोषित करके लम्बे समय से भाजपा का मूल वोट बैंक माना जाने वाला ब्राम्हण वोटो में बड़ी सेंध लगा दी है ।

मनीष मिश्रा दिग्गज कांग्रेसी नेता और प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार के हैं। जिसके चलते फूलपुर के अनतर्गत आने वाली पांच विधानसभाओं जिसमे फूलपुर ,सोरांव ,फाफामऊ ,शहर उत्तरी शहर पश्चिमी,और इन पांचो विधानसभा में फूलपुर सोरांव के साथ शहर उत्तरी के ब्राह्मणों में अच्छी पैठ है ।जो भाजपा सहित अन्य दलों के लिये मुश्किल बन रही है।

कांग्रेस प्रत्याशी मनीष मिश्रा के पिता और दिग्गज नेता रहे ,जे एन मिश्रा की पहचान जितना एक आइएएस अफसर के तौर पर रही उससे ज्यादा वह नेता के तौर पर विख्यात हुए। जिले से कई बड़े ब्योक्रेट्स हुए लेकिन जे एन मिश्रा एक ऐसे शख्स हुए। जिन्हें आज भी सालों बाद लोग इसलिए याद करते हैं, कि जे एन मिश्रा ने गांव के गांव को नौकरी दिलायी थी।

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मिश्रा पूर्व आईएएस अधिकारी थे, और वह रेलमंत्री कमलापति त्रिपाठी के निजी सचिव रहे उस दौरान गंगा पार या जिले का कोई भी व्यक्ति उनके पास खाली हाथ नही लौटा जे एन मिश्रा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भी निजी सचिव रहे।और आखिरी समय ने उन्होंने नेहरु ग्राम भारती विश्वविद्यालय की नीव अपने पैत्रिक गाँव में डाली ,और उसके आजीवन चासंलर रहे।

फूलपुर लोकसभा के गंगा पार में जमुनीपुर कोटवा बरईपुर ककरा दुबावल तिवारी पुर कतवारूपुर ,सुदनीपुर हनुमानगंज के गांव में हर परिवार से एक व्यक्ति को उसके योगता अनुसार हर योग्य व्यक्ति को उन्होंने नौकरी दी। स्थानीय लोगो की माने तो आज भी लगभग हर में एक व्यक्ति उनकी दी हुई नौकरी कर रहा है। हालांकि इसका राजनितिक फायदा खुद जेएन मिश्रा की नही वह खुद फूलपुर लोकसभा से चुनाव लड़े लेकिन जीत नही सके । बता दें मनीष मिश्रा फूलपुर झूसी विधानसभा से चुनाव लड़े चुके है । लेकिन इस चुनाव में अकेले ब्राम्हण प्रत्याशी होने से कांग्रेस को उम्मीद अच्छे परिणाम की उम्मीद है।

इसके पहले कांग्रेस ने 2009 में फूलपुर सीट पर सपा से आए धर्मराज पटेल और 2014 में मोहम्मद कैफ को चुनाव लड़ाया था। फूलपुर सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का वर्चस्व रहा है । 1984 के चुनाव में रामपूजन पटेल कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले आखिरी प्रत्याशी थे।तो वहीं एक बार फिर स्थानीय और अपने कार्यकर्ताओं पर विश्वास जताकर कांग्रेस संदेश देना चाहती है कि उसे अपने कार्यकर्ता और संगठन पर अभी पूरा भरोसा है।

राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद लोकसभा का उपचुनाव आगामी आम चुनाव से पहले रिहर्सल की तरह है । मनीष मिश्रा का परिवार लंबे समय तक नेहरु गांधी परिवार के बेहद करीब रहा । और मनीष मिश्रा के टिकट मिलने से कांग्रेस के अपने वोट बैंक सहित बिखर रहा कांग्रेस का ब्राम्हण के समान हो बहुत हद तक कांग्रेस में जाने की संभावना है

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