जानिए, क्यों नमिता ने ही दी अटल जी को मुखाग्नि ?

संक्षेप:

  • अटल बिहारी वाजपेयी को मुखाग्नि दी गई
  • बेटी नमिता भट्टाचार्य ने दी अटल जी को मुखाग्नि
  • राजकीय सम्मान के साथ हुआ अटल जी का अंतिम संस्कार

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी का स्मृति स्थल में अंतिम संस्कार किया गया। अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी बेटी नमिता भट्टाचार्य ने मुखाग्नि दी। आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कॉलेज की जमाने की दोस्‍त राजकुमारी कॉल की बेटी नमिता को गोद लिया था। राजकुमारी कौल और अटल बिहारी वाजपेयी ग्‍वालियर के विक्‍टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्‍मी बाई कॉलेज) में साथ पढ़ते थे। दोनों की काफी गहरी दोस्‍ती थी।

अटल बिहारी वाजपेयी राजकुमारी कॉल के परिवार के साथ ही दिल्‍ली में रहते भी थे। राजकुमारी कौल की बेटी नमिता को वाजपेयी ने गोद ले लिया था। नमिता की शादी रंजन भट्टाचार्य से हुई। अटल बिहारी वाजपेयी जब पीएम बने तो उनके सरकारी निवास पर राजकुमारी कौल अपनी बेटी नमिता और दामाद रंजन भट्टाचार्य के साथ रहती थीं। जिस वक्त मिसेज राजकुमार कौल का निधन हुआ, अटल बिहारी वाजपेयी अल्जाइमर रोग से ग्रस्त हो चुके थे। बावजूद इसके मिसेज कौल के अंतिम संस्कार में लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज मौजूद रहे। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके अंतिम संस्कार में पहुंचे।

अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार की बात करें तो उनकी भतीजी कांति मिश्रा और भांजी करुणा शुक्‍ला हैं। ग्वालियर में अटलजी के भतीजे दीपक वाजपेयी और भांजे सांसद अनूप मिश्रा परिवार सहित दिल्ली पहुंचे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार में उनके माता पिता के अलावा तीन बड़े भाई अवधबिहारी, सदाबिहारी और प्रेमबिहारी वाजपेयी और तीन बहनें थीं।

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बताया जाता है कि मोरारजी देसाई की सरकार में जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री हुए तो कौल परिवार लुटियंस जोन में उनके साथ ही रहता था। अटल बिहारी वाजपेयी जब पीएम बने तो उनके सरकारी निवास पर भी राजकुमारी कौल अपनी बेटी नमिता और दामाद रंजन भट्टाचार्य के साथ रहती थीं। अटल जी ने नमिता को दत्तक पुत्री का दर्जा दिया था और कौल परिवार ही उनकी देखरेख करता था। जिस वक्त मिसेज कौल का निधन हुआ, अटल बिहारी वाजपेयी अल्जाइमर रोग से ग्रस्त हो चुके थे। बावजूद इसके मिसेज कौल के अंतिम संस्कार में लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज मौजूद रहे। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके अंतिम संस्कार में पहुंचे।

तीन बार बने प्रधानमंत्री

बीजेपी के संस्थापकों में शामिल वाजपेयी 1996 से 1999 के बीच तीन बार पीएम चुने गए। वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही रह पाई। 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली। 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वह पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे।

2005 में लिया राजनीति से संन्यास

कभी अपनी कविताओं और भाषणों से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले वाजपेयी स्वास्थ्य खराब होने के कारण सार्वजनिक जीवन से दूर हो गए थे। 2005 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था और तब से वह अपने घर पर ही थे। अटल बिहारी वाजपेयी को कई वर्षों से बोलने और लिखने में भी तकलीफ होती थी। वह किसी को पहचान भी नहीं पा रहे थे।

 

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