शर्मसार हुई मानवता: ऑपरेशन फी नहीं देने पर मासूम को अस्पताल से फटे पेट निकाला, तड़प-तड़पकर तोड़ा दम

संक्षेप:

इलाहाबाद: प्रयागराज के चायल क्षेत्र के एक निजी अस्पताल के गेट पर शुक्रवार को तीन साल की खुशी ने तड़पकर दम तोड़ दिया। बच्ची की मौत से आक्रोशित लोगों ने जमकर हंगामा किया। रास्ता जाम करने की कोशिश भी की गई, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने गेट नहीं खोला। परिजनों ने आरोप लगाया कि ऑपरेशन के दौरान बच्ची को टांके नहीं लगाए गए और फटे पेट के साथ बच्ची को अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया। ट्विटर पर की गई शिकायत पर जिलाधिकारी ने एडीएम व सीएमओ की दो सदस्यीय टीम बनाकर मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

इलाहाबाद: प्रयागराज के चायल क्षेत्र के एक निजी अस्पताल के गेट पर शुक्रवार को तीन साल की खुशी ने तड़पकर दम तोड़ दिया। बच्ची की मौत से आक्रोशित लोगों ने जमकर हंगामा किया। रास्ता जाम करने की कोशिश भी की गई, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने गेट नहीं खोला। परिजनों ने आरोप लगाया कि ऑपरेशन के दौरान बच्ची को टांके नहीं लगाए गए और फटे पेट के साथ बच्ची को अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया। ट्विटर पर की गई शिकायत पर जिलाधिकारी ने एडीएम व सीएमओ की दो सदस्यीय टीम बनाकर मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

बाल आयोग ने लिखा डीएम को खत

इस मामले के सुर्खियों में आने के बाद राष्ट्रीय बाल सुरक्षा आयोग(एनसीपीसीआर) ने प्रयागराज के डीएम को खत लिखकर मामले में उचित कार्रवाई के लिए कहा है। आयोग ने लिखा है कि डीएम इस मामले की सख्ती से जांच करें और उचित धाराओं में केस दर्ज हो।

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क्या है पूरा मामला

करेली के करेंहदा निवासी मुकेश मिश्र की तीन साल की बेटी खुशी को पेट दर्द की शिकायत थी। उन्होंने बताया कि एक डॉक्टर ने खुशी को 15 फरवरी को चायल के निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए रेफर किया था। वहां बच्ची को ले जाने पर डॉक्टर ने बताया कि आंतें सिकुड़ रही हैं, ठीक हो जाएगी। दो दिन बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया। मुकेश का आरोप है कि डॉक्टरों ने खुशी का ऑपरेशन ठीक से नहीं किया। पांच दिन बाद खुशी को आराम नहीं मिला तो डॉक्टरों ने दोबारा ऑपरेशन किया। मुकेश का कहना था कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने टांके  भी नहीं लगाए।

आरोप लगाया कि दो मार्च को डॉक्टरों ने दर्द से कराह रही खुशी का इलाज करने के बजाय उसे कहीं और ले जाने को कहा। खुशी को चिल्ड्रेन अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन वहां के सीएमएस ने इससे इनकार किया। उन्होंने बताया कि खुशी का इलाज चिल्ड्रेन अस्पताल में नहीं किया गया।

पिता की गोद में अस्पताल के बाहर तोड़ा दम

इधर खुशी की हालत में सुधार नहीं हुआ तो मुकेश उसे लेकर शुक्रवार सुबह एक बार फिर उसी निजी अस्पताल गए, जहां खुशी का ऑपरेशन हुआ था। वहां गेट पर ही उन्हें रोक दिया गया। वह गोद में खुशी को लेकर करीब दो घंटे इधर से उधर भटकते रहे, लेकिन गार्ड ने उन्हें भीतर नहीं जाने दिया। इस बीच दर्द से तड़प रही खुशी ने अस्पताल के गेट पर पिता की गोद में ही दम तोड़ दिया। मासूम की मौत से नाराज परिवारीजन हंगामा करने लगे। करेंहदा से भी परिचितों को बुलाया गया। थोड़ी ही देर में वहां जुटी भीड़ हंगामा करने लगी। अस्पताल प्रशासन की सूचना पर वहां पिपरी, कोखराज, परिश्चम शरीरा सहित कई थानों की फोर्स पहुंच गई। सीओ चायल भी पहुंचे।

सीओ ने लोगों को शांत कराया। सीओ ने बताया कि खुशी के परिजनों ने मुकदमा दर्ज कराने को तहरीर नहीं दी है। शव पोस्टमार्टम के लिए मंझनपुर भेजा गया है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। उधर  जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी ने कहा है कि मामला बेहद गंभीर है। उन्होंने प्रकरण की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी (नगर) व मुख्य चिकित्साधिकारी की दो सदस्यीय टीम गठित की है। जिलाधिकारी ने कहा है कि यदि जांच के दौरान अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पाई जाती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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