प्रयागराज कुंभ मेला- 2019: जानिए कितने प्रकार के होते हैं अखाड़े और क्या होता इनका काम?

संक्षेप:

  • प्रयागराज कुंभ मेला- 2019
  • पढ़िए अखाड़े की कहानी
  • देश में हैं कुल 13 अखाड़े

By: नितिन कुमार पाल

प्रयागराज: आखाड़ा मुख्य रूप से प्राचीनकाल में भारत के साधू संतों का एक ऐसा समूह होता था जो संकट के समय में राजधर्म के विरुद्ध परिस्थियों में, राष्ट्र रक्षा और धर्म रक्षा के लिए कार्य करता था। इस प्रकार के संकट से राष्ट्र और धर्म दोनों की रक्षा के लिए अखाड़े के साधू अपनी अस्त्र विद्या का उपयोग भी किया करते थे। इसीलिए अखाड़े के अंतर्गत पहलवानों के लिए एक मैदान होता था जिसमें सभी अखाड़े के सदस्य शरीर को सुदृढ़ रखने और संकट के समय में सुरक्षा की दृष्टि से खुद को एक से बढ़कर एक दांव-पेच का अभ्यास किया करते थे। साथ ही अस्त्र विद्या भी सीखते थे। वर्तमान समय में भी आखाड़े होते हैं जो आज भी राष्ट्र को संकट में आने पर ज्ञान आदि से लोगों को सही राह पर लाने के लिए तत्पर रहते हैं।

भारत के सबसे विशाल मेले कुम्भ में ये अखाड़े पूरी तन्मयता से आज भी सम्मलित होते हैं और शाही स्नान किया करते है। इन आखाड़ों का एक अध्यक्ष होता जिसका चुनाव एक जटिल प्रक्रिया के अधीन होता है। कुल 13 अखाड़े हैं।

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1. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग (उत्तर प्रदेश)।

2. श्री पंच अटल अखाड़ा- चैक हनुमान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।

3. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी- दारागंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)।

4. श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती- त्रंब्यकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)

5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमान घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।

6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा- दशाश्वमेघ घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।

7. श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा- गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़ (गुजरात)

बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े :

8. श्री दिगम्बर अनी अखाड़ा- शामलाजी खाकचौक मंदिर, सांभर कांथा (गुजरात)।

9. श्री निर्वानी आनी अखाड़ा- हनुमान गादी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश)।

10. श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा- धीर समीर मंदिर बंसीवट, वृंदावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश)।

उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े :

11. श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा- कृष्णनगर, कीटगंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)।

12. श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)।

13. श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)।

इसके अलावा भी सिख, वैष्णव और शैव साधु-संतों के अखाड़े हैं जो कुंभ स्नान में भाग लेते हैं। अखाड़े के संत खाने के लिए अपने हलवाई और कारीगर लाते हैं। अपने अखाड़े में भंडारा करवाते है और अपने हलवाई और कारीगरों द्वारा बनाये गये भोजन और भंडारे को ही खाते है। अखाड़े के संत रहने के लिए अपने अखाड़ो के पंडालों में रहते हैं। पंडालो में ही उनका निवास होता है।

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