प्रियंका करने वाली थी फिल्मों में काम, लेकिन ठप पड़ गया प्रोजेक्ट

संक्षेप:

  • साल 2000 में प्रियंका की जिंदगी पर बायोपिक बन रही थी
  • `गुड नाइट प्रिंसेस` मूवी प्रियंका गांधी की जिंदगी पर आधारित थी
  • यह फिल्म हिंदी और इंग्लिश दो भाषाओं में बन रही थी

प्रियंका गांधी वाड्रा ने आधिकारिक तौर पर राजनीति में कदम रख दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रियंका को पूर्वी यूपी की कमान सौंपी है। वह फरवरी के पहले हफ्ते में कार्यभार संभालेंगी। माना जा रहा है कि प्रियंका की लोकप्रियता को देखते हुए ही आगामी लोकसभा चुनाव से पहले यह फैसला लिया गया है। आपको बता दें कि प्रियंका की जिंदगी पर बायोपिक बन रही थी, लेकिन किसी वजह से इसे रोक दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि बायोपिक में प्रियंका का किरदार प्रियंका चोपड़ा निभाने वाली थीं।

जानकारी के अनुसार, यह बात करीब 19 साल पहले की है. साल 2000 में प्रियंका चोपड़ा को सबसे पहली फिल्म मिली थी, `गुड नाइट प्रिंसेस`।  यह मूवी प्रियंका गांधी की जिंदगी पर आधारित थी और उस वक्त उनकी उम्र महज 28 साल थी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस फिल्म के डायरेक्टर एटली बरार थे। प्रियंका ने मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में जाने से करीब एक महीने पहले फिल्म की शूटिंग कर ली थी और खिताब जीतने के बाद जब वापस लौंटी, तब भी शूटिंग जारी रखी। यह फिल्म हिंदी और इंग्लिश दो भाषाओं में बन रही थी। इसमें पूजा बत्रा और राहुल देव भी मुख्य भूमिका में थे. हालांकि, प्रोड्यूसर के पास पैसे नहीं होने के चलते यह फिल्म पूरी नहीं हो सकी।

वहीं बात करें अगर प्रियंका गांधी के प्रभारी नियुक्त होने की तो इसका मतलब साफ हैं राहुल, सोनिया के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की सीट आजमगढ़, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ गोरखपुर, रामजन्म भूमि विवाद का केंद्र फैजाबाद लोकसभा सीट, मायावती की पुरानी लोकसभा सीट अकबरपुर सब की सब सीटें प्रियंका गांधी के कार्यक्षेत्र में आएंगी।

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इस तरह से राहुल गांधी ने पूर्वी यूपी में पीएम मोदी के सामने प्रियंका को पेश किया है। प्रियंका सक्रिय राजनीति में आने वालीं नेहरू गांधी परिवार की पांचवीं महिला होंगी। इससे पहले विजय लक्ष्मी पंडित, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी और मेनका गांधी इस परिवार से सियासत में आ चुकी हैं। मां सोनिया की तरह प्रियंका भी कांग्रेस के सबसे बुरे वक्त में पार्टी में आई हैं। जाहिर है उनकी जिम्मेदारी उससे कहीं बड़ी है, जितनी की कोई भी अनुमान लगा सकता है।

अगर प्रियंका गांधी नाकाम होती हैं तो कांग्रेस के लिए एक बहुत बड़े अवसर का हमेशा के लिए चुक जाना होगा, अगर वे कामयाब होती हैं तो वह पार्टी के भीतर राहुल के लिए चुनौती मानी जाएंगी, लेकिन इस सबसे पहले प्रियंका को साबित करना होगा कि वे पर्दे के पीछे से ही नहीं, जनता के बीच भी दमदार राजनीति कर सकती हैं। यही राहुल का आखिरी दांव है।

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