जानिए क्या है गुरु पूर्णिमा की धार्मिक मान्यताएं?

संक्षेप:

  • आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा के रूप में 
  • गुरु पूर्णिमा पर की जाती है गुरु की पूजा
  • गुरु शब्द का अर्थ होता है अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला

इलाहाबाद: वैसे तो हर महीने की पूर्णिमा का अपना ही महत्व होता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा की पूजा की जाती है। यह पर्व बड़ी श्रद्धा भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है।

भारतीय संस्कृति में जननी ही व्यक्ति की पहली गुरू है। गुरु शब्द का अर्थ है अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला। सरल शब्दों में गुरु को ज्ञान का पुंज कहा जाता है। इस दिन गुरु की ही नहीं, अपने घर में जो बड़ा है अर्थात माता-पिता, भाई-बहन आदि की भी गुरु समझ कर उनकी पूजा की जाती है।

कुछ ऐसी है धार्मिक मान्यताएं...

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हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। वेदव्यास जी ने 18 पुराणों एवं 108 उपनिषद की रचना की थी। महाभारत एवं श्रीमद्भागवत इनके प्रमुख रचित शास्त्र हैं। इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में मनाई जाती है। इस दिन से प्रारम्भ कर, अगले चार महीने तक परिव्राजक और साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर, गुरू से ज्ञान प्राप्त करते हैं। क्योंकि बारिश के चार महीनों में मौसम बदलता रहता है, इसलिए साधु-संत एक ही स्थान पर गुरुचरण में उपस्थित रहकर ज्ञान, और भक्ति प्राप्त करते हैं।

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